बरसात का मौसम आते ही छत्तीसगढ़ में सांप के डसने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो गई है। इस वर्ष अकेले मुंगेली जिला अस्पताल में जून में 10 सर्पदंश के मामले सामने आ चुके हैं। नसमें 7 लोगों की मौत हो चुकी है। डॉक्टर और विशेषज्ञों सर्पदंश और इससे जुड़ी भ्रांतियों बचने और सावधानी रखने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि बचाव और जागरूकता ही सर्पदंश से होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
मुंगेली सीएचएमओ देवेंद्र पैकरा बताते हैं कि सामान्यतः छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में करैत के डसने से लोगों की मौत ज्यादा होती है। इसके पीछे कारण यह है कि करैत सोए हुए लोगों को भी डस लेता है। ज्यादातर जमीन में सोने वाले लोग इसके शिकार होते हैं। सुबह तक उन्हें इसका पता नहीं होने से जहर का असर पूरे शरीर पर फैल चुका होता है और अस्पताल लाते तक अधिक देर हो चुकी होती है। इससे लोगों की मौत हो जाती है।
सर्प मित्र रामायण पांडेय बताते है कि सभी सांप जहरीले नहीं होते ज्यादातर सांप नॉन वेनोमस होते हैं, लेकिन डर के कारण लोगों की धड़कन इस कदर बढ़ जाती है कि उनका हार्ट फेल हो जाता है। सांप के डसने के बाद 45 मिनट के अंदर इलाज मिल जाए तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है।लेकिन अंधविश्वास और झड़ फूंक के चक्कर में इस महत्वपूर्ण समय को व्यर्थ कर दिया जाता है और मौत हो जाती है।