चीन द्वारा करीब 22 महीने पूर्व सीमा पर की गई घुसपैठ के बाद भारतीय सेना के जवानों की वहां तैनाती की गई थी। अब तक के हालात पर लखनऊ में गहन मंथन शुरू हो गया है। सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे बड़ी सुरक्षा कांफ्रेंस में हिस्सा लेने लखनऊ पहुंचे। उनके साथ उपसेनाध्यक्ष ले. जनरल मनोज पांडेय और सभी मुख्य आपरेशनल कोर व फार्मेशन कमांडर भी आए हैं। सुरक्षा कांफ्रेंस में चीनी सेना के गर्मी में होने वाले वार्षिक युद्धाभ्यास को लेकर भारत द्वारा उससे सटी सीमा पर अपनी सतर्कता बढ़ाने पर मंथन किया गया। वहीं, यूक्रेन युद्ध की मौजूदा स्थिति पर करीब से नजर बनाए रखने पर चर्चा हुई।
सुरक्षा कांफ्रेंस के पहले दिन पूर्वी लद्दाख और चीन से सटी उत्तरी सीमा पर मौजूदा आपरेशनल स्थिति की समीक्षा की गई। साथ ही सैन्य तैयारियों और वारगेम की रणनीति पर शीर्ष कमांडरों के साथ सेनाध्यक्ष ने मंथन किया। मध्य कमान के अंतर्गत उत्तराखंड से सटी चीन की सीमा पर भारतीय सेना की यूनिटों की तैनाती को लेकर भी चर्चा की गई। वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों ने भी, विशेषकर गर्मी में चीनी सेना के सैन्य अभ्यास में अपनी ओर से सतर्कता को लेकर की गई कार्रवाई के बारे में कांफ्रेंस में रिपोर्ट दी। अब भी लद्दाख फ्रंटियर पर चीनी सेना के करीब 45 से 50 हजार जवान तैनात हैं।
चीन की भारत से सटी सीमा पर एयरबेस को अपग्रेड किए जाने को लेकर भी वायुसेना के साथ चर्चा हुई। पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा से कुछ सैन्य यूनिटों को चीन सीमा की ओर शिफ्ट करने पर भी मंथन किया गया है। थिएटर कमांड की स्थापना भी इस कांफ्रेंस का केंद्रीय विषय है। एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना के लड़ाकू विमानों की लैंडिग जैसी सामरिक तैयारियों पर गुरुवार को मंथन किया जाएगा।