
कांकेर जिले के छोटेबेठिया इलाके के कन्या छात्रावास में एक नाबलिग़ छात्रा गर्भवती हो गई थी। पहले छात्रावास प्रबन्धन मामले को दबाने में जुटा रहा। मामला बीते 13 जुलाई को उजागर हुई थी तो जमकर सियासत हुई। इसे लेकर कांकेर शिक्षा विभाग भी सवालों के घेरे में है। नाबलिग़ छात्रा के गर्भवती होने का मामला उजागर होने के बाद उसी कन्या छात्रावास से जुडी एक और लापरवाही सामने आई है। उसी कन्या छात्रावास में एक पुरुष शिक्षक पिछले एक साल से रह रहा था।
जांच के दौरान कन्या छात्रावास में पुरुष शिक्षक के निवासरत रहने के मामले जिला शिक्षा अधिकारी के संज्ञान में आया। जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि बीते मई में आश्रम अधीक्षिका ने खंड शिक्षा अधिकारी को शिकायत की थी कि कन्या छात्रावास परिसर में एक पुरुष शिक्षक बीते एक साल से निवासरत है, जिसे खाली करवाया जाए। ईसके बाद खंड शिक्षा अधिकारी ने उक्त शिकायत को जिला शिक्षा अधिकारी को कार्यवाही के लिए प्रेषित किया। जून में उक्त पुरुष शिक्षक से आवास खाली कराया गया।
जिला शिक्षा अधिकारी बताते हैं कि कन्या आवासीय परिसर में किसी भी पुरुष की रहने पर प्रतिबंध है, लेकिन संज्ञान में आते ही कार्यवाही की गई। अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कैसे खंड शिक्षा और जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कन्या छात्रावास में एक पुरुष शिक्षक के निवासरत रहने के मामले की भनक नहीं लगी? कन्या आवासीय परिसर में एक साल से किसकी अनुमति से पुरुष शिक्षक निवासरत रहा? अधीक्षिका को एक साल बाद शिकायत करने की याद क्यों आई? क्या विभाग के ज़िम्मेदार अफसर कभी उन इलाकों के छात्रावास का निरीक्षण कर इन चीजों का जायजा भी लेते होंगे या सिर्फ कागजों में जिले की शिक्षा व्यवस्था बेहतर है?