भारतीय मूल के निशांत बत्रा स्मार्टफोन निर्माता कंपनी नोकिया में चीफ स्ट्रेटेजी एंड टेक्नोलाजी अफसर (सीएसटीओ) के तौर पर काम कर रहे हैैं। वह नासा को चांद पर पहला सेल्युलर नेटवर्क स्थापित करने में मदद कर रहे हैैं। नोकिया में बत्रा की जिम्मेदारी टेक्नोलाजी आर्कीटेक्चर के प्रबंधन के साथ ही नोकिया बेल लैैब्स में शोध की जिम्मेदारी संभालने की भी है। वह फिनलैैंड के इस्पू से काम कर रहे हैैं। वह इस साल के अंत तक चांद की सतह पर स्थापित करने के लिए पहला अत्यधिक छोटा, कम ऊर्जा वाला एंड टु एंड एलटीई सल्यूशन बना लेंगे। इस अवधि तक इसे चांद पर इंस्टाल करने की भी तैयारी है। नासा चाहता है कि वह चांद की सतह पर फिर से अपनी पकड़ कायम कर ले। नासा इसी साल मई में चांद के लिए आर्टेमिस मिशन भी लांच करने वाला है। जबकि मानवसहित यह मिशन चांद पर 2026 में जाएगा।
पिछले साल अक्टूबर में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने नोकिया को अपना साझीदार बनाया था। नासा के इस मिशन के तहत अंतरिक्ष में 4जी कम्यूनिकेशन प्रणाली को स्थापित किया जाएगा। टिप्पिंग प्वाइंट टेक्नोलाजी से चांद से धरती के तार जुड़ेंगे। इससे चांद पर मानव की उपस्थिति भी आसान हो जाएगी। इस तकनीक से चांद पर भी इंसान के लिए कई दूरसंचार माध्यमों का उपयोग सरल और सहज हो जाएगा। इस संचार क्षमता से कई तरह के डाटा नेटवर्क तो चलेंगे ही, लूनर रोवर के लिए अहम कमांड और रिमोट फंक्शन भी सरल हो जाएंगे। रीयल टाइम नेविगेश्ान होगा। हाईडेफिनेशन वीडियो जारी हो सकेंगे। इससे संचार की प्रक्रिया में सस्ती हो जाएगी। चांद की दुर्गम परिस्थितियों में टिके रहने के लिए यह तकनीक वरदान साबित होगी।
निशांत बत्रा नोकिया में जनवरी, 2021 बतौर सीएसटीओ नियुक्त हुए थे। वह नोकिया ग्रुप लीडरशिप टीम के भी सदस्य हैैं। दिल्ली में पले-बढ़े बत्रा ने इंदौर के देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातक किया है। बाकी पढ़ाई उन्होंने अमेरिका में की। डलास स्थित सदर्न मैथेडिस्ट यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में परास्नातक किया है। एमबीए इनसीड से किया। बत्रा इससे पहले बतौर एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और चीफ टेक्नोलाजी अफसर स्वीडन के वीयोनीर में कार्यरत थे। वह 12 साल एरिक्सन में भी काम कर चुके हैैं।