
रायपुर, 16 अक्टूबर 2025।मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ का नक्सलमुक्त होना इस बात का प्रमाण है कि अब बस्तर भय नहीं, बल्कि विश्वास और विकास की नई पहचान बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत अब नक्सलवाद के अंत की दहलीज़ पर खड़ा है।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि पिछले दो दिनों में 258 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जो इस परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है कि अब बंदूक नहीं, बल्कि विश्वास की शक्ति जीत रही है। बीते 22 महीनों में छत्तीसगढ़ में 477 नक्सली मारे गए, 2110 ने आत्मसमर्पण किया, और 1785 गिरफ्तार हुए — ये आंकड़े राज्य सरकार के नक्सलमुक्त छत्तीसगढ़ के संकल्प को दर्शाते हैं।
31 मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त छत्तीसगढ़ का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने 31 मार्च 2026 तक पूरे राज्य को नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है। यह सफलता “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “नियद नेल्ला नार योजना” के सफल क्रियान्वयन का परिणाम है।
बस्तर में स्थापित 64 नए सुरक्षा कैंपों ने न केवल सुरक्षा को मजबूत किया है, बल्कि गांव-गांव में शासन के प्रति विश्वास की नई रोशनी फैलाई है।
साय ने कहा कि वीर सुरक्षाबलों के साहस और बलिदान से ही बस्तर भयमुक्त होकर शांति की ओर अग्रसर हुआ है। अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर पूरी तरह नक्सल आतंक से मुक्त हो चुके हैं, जबकि दक्षिण बस्तर में यह संघर्ष अपने निर्णायक चरण में है।
सरकार की स्पष्ट नीति — हिंसा नहीं, विकास का मार्ग
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की नीति स्पष्ट है — हिंसा का कोई स्थान नहीं। जो नक्सली शांति और विकास का मार्ग चुनना चाहते हैं, उनका स्वागत है। लेकिन जो बंदूक के बल पर समाज में आतंक फैलाएंगे, उन्हें सुरक्षा बलों की सख़्त कार्रवाई झेलनी होगी।
साय ने नक्सलियों से अपील की —
“हिंसा की राह अंतहीन पीड़ा देती है, जबकि आत्मसमर्पण जीवन को नई दिशा देता है। अपनी मातृभूमि और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए हथियार छोड़कर विकास की राह पर लौटें।”
केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका अहम
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (एक्स) पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर जैसे क्षेत्र, जो कभी नक्सल आतंक के गढ़ माने जाते थे, अब पूरी तरह नक्सलमुक्त घोषित हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि यह न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा की बड़ी उपलब्धि है, बल्कि विकास, विश्वास और संवेदना की नई कहानी भी है।
बीते दो दिनों में देशभर में कुल 258 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया है।
अमित शाह ने कहा कि यह परिवर्तन इस बात का प्रमाण है कि अब संविधान पर विश्वास की शक्ति बंदूक पर भारी पड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है।
उन्होंने आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों की सराहना करते हुए कहा कि उनका यह कदम देश की एकता और प्रगति की दिशा में ऐतिहासिक योगदान है।