ओडिशा के पुरी जगन्नाथ धाम में विराजमान जगन्नाथ महाप्रभु की लीला अनुपम एवं अनूठी है। देव स्नान पूर्णिमा के दिन (14 जून को) 108 घड़ों के सुगंधित जल से स्नान करने के बाद महाप्रभु बुखार से पीड़ित हो गए हैं और इन दिनों जगन्नाथ मंदिर में ही बनाए गए अणवसर गृह (विश्राम गृह) में उनका उपचार चल रहा है।
दइतापति एवं पति महापात्र सेवकों को महाप्रभु की इस सेवा के लिए नियोजित किया गया है। ये सेवक प्रभु का बुखार कम करने के लिए विभिन्न् प्रकार की जड़ी बूटियां देने के साथ ही उनकी सेवा कर रहे हैं। इसी क्रम में रविवार को महाप्रभु समेत चतुर्धा विग्रहों की फुलुरी तेल से मालिश की गई है।
बड़ ओड़िया मठ की द्वारा यह तेल उपलब्ध कराया गया। इस तेल को तैयार करने के लिए एक साल पहले एक घड़ा तिल्ली (राशि) के तेल में सुगंधित फूल, कपूर, चेरमूल, सुगंधित द्रव्य मिलाकर मिट्टी के नीचे गाड़ दिया गया था। एक दिन पहले इसे निकाला गया। रविवार की दोपहर धूप नीति संपन्न् होने के बाद पति महापात्र सेवकों ने इस तेल को दइतापति सेवकों को दिया। तेल मिलने के बाद दइतापति सेवकों ने प्रभु के श्रीअंग में फुलुरी तेल से मालिश किया है। मान्यता है कि तेल मालिश के बाद प्रभु को थोड़ा आराम मिलता है।