तीर्थ नगरी उज्जैन में श्राद्धकर्म करने से दस गुना अधिक पुण्य मिलता है




 सिद्धबट के पांडे बेटियों को भी सीखा रहे कर्मकांड विधि 

रामघाट ,सिद्धबट,गयाकोठा तीर्थ पर हजारों यात्रियों ने किया तर्पण -पिंडदान 



उज्जैन।(अशोक महावर )। तीर्थ नगरी अवंतिका के मोक्षदायिनी शिप्रा तट पर पितृपक्ष में हजारो की संख्या में अपने पितरों का श्राद्धकर्म ,तर्पण ,पिंडदान करने देशभर के यात्री आ रहे है । कहा जाता है कि उज्जैन में श्राद्धकर्म  करने से अन्य तीर्थ नगरियों में किये गए कार्य से दस गुना अधिक पुण्य मिलता है। उज्जैन में  तीन पवित्र स्थान ,रामघाट ,सिद्धवट घाट और गया कोठा तीर्थ पितृ पक्ष में श्राद्धकर्म  कर्म होते है । हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो वर्षों से तीर्थ क्षेत्र में प्रतिबंध के कारण पितृ पक्ष में यह कार्य बंद था इस बार अपने पितरों की आत्म शांति के लिए हजारों  लोगो ने तीर्थ नगरी उज्जैन पहुँच कर  श्राद्धकर्म ,तर्पण ,पिंडदान किया ।


 उज्जैन के पांडे- पुजारी अपने पैतृक कर्मकांड की शिक्षा अब अपने छोटे -बेटे बेटियों को भी दे रहे है ।  



श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिनों में तीर्थ नगरी अवंतिका  में अपने पितरों की आत्मशांति के लिए मोक्षदायिनी शिप्रा के तट पर कर्मकांड ,तर्पण औऱ पिंडदान करने वाले देशभर से उज्जैन आ रहे है ।



श्राद्ध पक्ष में 16 दिनों तक पितृों की शांति और आशीर्वाद के लिये कर्मकांड, तर्पण और पिंडदान करने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिप्रा के तट रामघाट ,सिद्धवट और गया कोठा तीर्थ पर श्राद्ध व तर्पण करने से अन्य तीर्थ नगरियों से 10 गुनाअधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। 

अंकपात मार्ग स्थित गयाकोठा तीर्थ पर भी श्राद्ध कर्म का पौराणिक महत्व बताया गया है । यहा पर कर्मकांडी पंडितों द्वारा परिसर में यजमानों से कर्मकांड , तर्पण और पिंडदान पूजन कार्य सम्पन्न कराया जा रहा है । धर्म ग्रंथो में श्राद्ध पक्ष में तर्पण व कर्मकांड का महत्व नदी और सरोवरों के किनारे बताया गया है। उसी के अनुसार देश भर से उज्जैन आने वाले श्रद्धालु रामघाट और सिद्धनाथ घाट पर पूजन विधि सम्पन्न करते हैं। भैरवगढ़ सिद्धबट क्षेत्र के कर्मकांडी पंडित भावेश जोशी ( रिध्दी सिध्दी वाला गुरु ) ने बताया कि मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के घाटों पर श्राद्ध कर्म करने से दस गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। भगवान  श्री राम ने भी रामघाट पर पिता अपने पिताश्री राजा दशरथ का पिण्डदान किया था। 

पंडित भावेश गुरु स्वयं अपनी बेटियों को  पैतृक कर्मकांड की शिक्षा दे रहे है । उनकी दो बेटियां है वे सिद्धवट घाट पर अपनी बेटियों को पैतृक कर्मकांड की विधि में निपुण कर रहे है । 

 अंकपात मार्ग स्थित गयाकोठा तीर्थ पर श्राद्ध पक्ष में दूध व जल चढ़ाने से पितृओं की आत्मा को शांति व पुण्य फल प्राप्ति मिलती है। यहां कोरोना संक्रमण की वजह से दो वर्षों से प्रशासन द्वारा मंदिर में प्रतिबंध लगाया था । कर्मकांडी पंडितों द्वारा गयाकोठा तीर्थ के निर्माणाधीन परिसर में यजमानों से कर्मकांड और तर्पण विधि, पूजन आदि सम्पन्न कराया जा रहा है । वहीं रामघाट और भैरवगढ़ स्थित सिद्धवट घाट पर भी सैकड़ों लोगों श्राद्ध पक्ष के चलते  कर्मकांड  पूजन करवा रहे है । रामघाट, सिद्धनाथ घाट और गयाकोठा मंदिर परिसर में तर्पण, पूजन, श्राद्ध कर्म के लिये पहुंचने वाले लोगों से यहां मौजूद पंडितों द्वारा कोरोना नियमों का पालन कराया  जा रहा है । पूजन विधि करते समय यजमानों ने मुंह पर मास्क पहना था और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया जा रहा है। उज्जैन के पंडितों ने हाथ सेनेटराइज करने का भी इंतजाम रामघाट पर किया है अधिकांश पंडित अपनी जेब में सेनेटराइज की छोटी शीशी  भी रखे हुए  हैं ।


        कैसे करे श्राद्ध तर्पण


पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म तर्पण, करने का विशेष महत्व है, इस संबंध में पंडित राजेश त्रिवेदी आम वाला पण्डा का कहना है कि दोपहर बाद श्राद्ध करने का उत्तम समय माना गया है। दिवांगत पिता माह, प्रपितामाह इन तीन पीढियो को वैध मंत्रो से आवहन करे जल तर्पण एवं अन्य के पिण्ड से तृप्त करना चाहिये। श्राद्ध कर्म नदी घर में करने का विदान है, पितरो का तर्पण काले तिल मिश्रित जल और आटे के पिण्ड तथा पकवे हुए चावल के पिण्ड से किया जाता है, दिवंगत पितृ पक्ष कें मातृ पक्ष के एवं ससुराल पक्ष के हो उतने ही पिण्ड बनाये जाते है, इन्ंही के साथ सगौत्र के साथ मित्र और गुरू के भी पिण्ड बनाये जाते है, पिण्ड पितरो के प्रतिक माने जाते है, अत: इन पिण्डो की इस भावना से पुजन करना चाहिये, इसके बाद अग्रि देवता को भोजन का भाग देकर पितरो को खीर मधु मिश्रित पकवान  से युक्त भोजन कराना चाहिये। इसके बाद जल में विसर्जन कर बह्मणो को भोजन यथा शक्ति दान पुण्य करना चाहिये।

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कहा करें तर्पण 


आयोध्या मथुरा, माया, काशी, कांची, अवंतिका और द्वारिका  इन सात पवित्र तीर्थो पर श्राद्ध पक्ष में तर्पण पिण्डदान करने का महत्व बताया गया है। गयाजी में श्राद्ध जहां पितरो को वैकुंठ की प्राप्ति होती है,अवंतिकापुरी उज्जैन में श्राद्ध तर्पण और पिण्डदान का सर्व तीर्थ स्थलो पर किये गये, श्राद्ध कर्म के फल से दस गुना अधिक फल प्राप्त होता है क्योकि मोक्षदायिनी शिप्रा और सृष्टि के रचिता स्वयं महाकाल यहा विराजित है, शिप्रा तट के तीर्थ स्थलो पर अनादी काल से स्नान दान श्राद्ध कर्म और तर्पण करने का क्रम चल रहा है, तभी तो यहां पर देश विदेश से पितृ पक्ष में हजारो श्रद्धालु श्राद्ध कर्ता मोक्षदायिनी शिप्रा के तट रामघाट सिद्धवट घाट, और अंकपात स्थित गया कोटा, तीर्थ पर श्राद्ध कर्म करने आते है। 


तीर्थ नगरी के तर्पण स्थल 


शहर से मात्र 5 कि मी स्थित भैरवगढ क्षेत्र में शिप्रा तट पर स्थित सिद्धवट पर तर्पण पिण्डदान करने का श्रेष्ठ महत्व माना गया है, सिद्धवट घाट पर प्रतिदिन तर्पण कर्म कांड कार्य होता है, श्राद्ध पक्ष में देश विदेश से यहां अपने पूर्वजो का तर्पण,पिण्डदान करने यात्री आते है। इसी प्रकार श्राद्धपक्ष में शिप्रा के रामघाट और अंकपात के गयाकोटा तीर्थ को तर्पण पिण्डदान के लिये सबसे उपयुक्त तीर्थ स्थल माना गया है।  

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