
पिछले करीब 15 साल से लापता एक पुलिस अधिकारी दो पूर्व सहकर्मियों को भिखारी के रूप में फुटपाथ पर ठंड से कंपकंपाता मिला। ग्वालियर के एक मैरिज हॉल के पास मानसिक रूप से विक्षिप्त एक भिखारी जैसा दिखने वाला व्यक्ति ठंड से कांपते हुए कचरे के ढेर से खाना ढूंढ रहा था। यह देखकर दो पुलिस अधिकारी गाड़ी से उतरे और एक ने उसे अपनी गर्म जैकेट पहनने को दी। तभी उस भिखारी ने दोनों अधिकारी को नाम लेकर पुकारा तो दोनों चौंक गये। गौर से देखने पर पाया कि वह पुलिस में मनीष मिश्रा है, जो 2005 में दतिया में निरीक्षक के पद पर रहते हुए लापता हो गए थे।
ग्वालियर पुलिस की अपराध शाखा में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) रत्नेश सिंह तोमर ने बताया कि वह और उनके साथी डीएसपी विजय सिंह बहादुर यहां एक मैरिज हॉल के पास अपनी गाड़ी में थे। तभी उन्हें मानसिक रूप से विक्षिप्त एक भिखारी जैसा दिखने वाला व्यक्ति ठंड से बुरी तरह कांपते हुए कचरे के ढेर से खाना ढूंढता हुआ दिखाई दिया। उसे देखने के बाद दोनों गाड़ी से उतरे और हममें से एक ने उसको अपनी गर्म जैकेट पहनने को दी। तभी उसने हम दोनों को हमारे नाम से पुकारा तो हम दोनों चौंक गये। बाद में गौर से देखने पर पाया कि वह कोई और नहीं, बल्कि पुलिस में हमारे पूर्व सहकर्मी मनीष मिश्रा है जो 2005 में दतिया में निरीक्षक के पद पर रहते हुए लापता हो गए थे।
डीएसपी तोमर ने कहा कि इतने सालों में किसी को भी उनके ठिकाने का पता नहीं था। इसके बाद तोमर और सिंह उन्हें एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा संचालित आश्रय स्थल ले गये जहां मिश्रा को अगली व्यवस्था होने तक रखा जायेगा। उन्होंने बताया कि मिश्रा एक अच्छे एथलीट और शॉर्प शूटर थे। वह हमारे साथ 1999 में पुलिस बल में शामिल हुए थे। वह कुछ वर्षो बाद मानसिक समस्याओं से पीड़ित हो गए थे। उनके परिवार ने उनका उपचार भी कराया था, लेकिन कुछ समय बाद वह लापता हो गए थे। हम सभी उनके दोस्त यह प्रयास करेंगे कि मिश्रा का अच्छे से उपचार कराया जाए ताकि वह फिर से अपना सामान्य जीवन जी सकें।