- भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान उज्जैन में की थी प्रतिमा की स्थापना
उज्जैन।आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में विचलित मन को शांत यानी स्थिर करने के लिए उज्जैन में स्थिरमन गणेश को पूजा जाता है। मान्यता है स्थिरमन गणेश के दर्शन व पूजन से मन शांत होता है। एकाग्रता आती है। इससे सफलता का रास्ता आसान होता है। मुंबई के अष्ट विनायक की तरह उज्जैन में षड् विनायक स्थापित हैं। स्कंद पुराण में इनका उल्लेख है।
इनमें गढ़कालिका क्षेत्र स्थित स्थिरमन गणेश का विशेष महत्व है। पुराण कथा के अनुसार भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, जानकीजी ने वनवास के दौरान उज्जैन यात्रा में मन की शांति के लिए इनकी स्थापना की थी। इस घटना के पहले इनका नाम थलमन गणेश था। श्रीराम द्वारा पूजन के बाद इनका नाम स्थिरमन गणेश हो गया।
मंदिर में भगवान स्थिरमन गणेश की बैठी मुद्रा में विशाल प्रतिमा है। इसके पास ही एक छोटी मूर्ति भी है जिन्हें चिंताहरण गणेश कहा जाता है। मंदिर के परकोटे में चार दरवाजे हैं। प्राचीन मंदिर का परिसर भव्य है। मंदिर के आसपास अनेक प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें महाकवि कालिदास की आराध्य देवी गढ़कालिका और पुरामहत्व की विष्णु चतुष्टिका प्रमुख है।
मन को स्थिर करने की मान्यता के चलते जहां एक ओर कई भक्त दर्शन पूजन के लिए आते हैं वहीं विद्यार्थी भी परीक्षा के दिनों में यहां आकर भगवान गणेश से आशीर्वाद लेते हैं। बच्चे की शिक्षा शुरू करने पर भी परिजन उन्हें यहां लाकर पूजन कराते हैं। पुजारी राघवेंद्र चतुर्वेदी के अनुसार पुराण प्रसिद्ध मंदिर में गणेश पर्वों पर विशेष पूजन अनुष्ठान आदि होते हैं। भगवान स्थिरमन को गुड़ का भोग पसंद है, इसलिए उन्हें केवल गुड़ का ही नैवेद्य लगाया जाता है।