आनलाइन जर्नल एपिडिमियोलाजी एंड कम्युनिटी हेल्थ ने अपने शोध में दावा किया है कि जो लोग गरीब होते हैं उन्हें समृद्ध पृष्ठिभूमि वाले लोगों की अपेक्षा जीवन में अधिक मानसिक स्वाथ्य की समस्या होती है। फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने इसके साथ यह भी पाया कि आधे से अधिक ऐसे लोग जिन्होंने 30 साल की अवस्था तक कम शिक्षा प्राप्त की उन्हें 22 साल बाद मानसिक रोग का सामना करना पड़ा।
फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने 1966 से 1986 के बीच पैदा हुए 12 लाख ऐसे लोगों के आधिकारिक राष्ट्रीय डाटा का विश्लेषण किया, जब वे 30 वर्ष के थे। इनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर सामान्य मनोविकारों जैसे-मादक द्रव्यों के सेवन, सिजोफ्रेनिया और चिता विकारों के बीच संबंध की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने रजिस्टर में अंकित तीन आधारों, शैक्षणिक, रोजगार और व्यक्तिगत आय का उनके परिवार पर होने वाले असर को लेकर विश्लेषण किया।
1996 से 2017 के बीच इनकी स्थिति के आकलन में पाया गया कि एक चौथाई से अधिक (26.1 प्रतिशत) यानी 3,31,657 लोगों में मनोविकार पाया गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि 30 साल की उम्र में निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति लगातार एक मानसिक विकार के उच्च जोखिम से जुड़ी थी। इसके साथ ही 30 वर्ष की आयु तक माध्यमिक शिक्षा पूरी करने वाले 45 प्रतिशत और उच्च शिक्षा पूरी करने वाले 36 प्रतिशत लोगों की तुलना में 52 वर्ष की आयु में कम शिक्षा प्राप्त करने वाले 58 प्रतिशत लोगों में बाद में मानसिक विकार का पाया गया। हालांकि, इस पर अभी शोध जारी है।