मॉस्को- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने गुरुवार रात ऐलान किया है कि उनकी फौज 6 और 7 जनवरी को यूक्रेन पर हमले नहीं करेगी। यानी दो दिन रूस की तरफ से सीजफायर रहेगा। पुतिन ने यह फैसला रूस के 76 साल के ईसाई धर्मगुरु पेट्रीआर्क किरिल की अपील के बाद किया है। पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद ऐसा पहली बार है, जब रूस ने सीजफायर का ऐलान किया है। रूस और यूक्रेन दोनों देश ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस मनाते हैं। ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस पूर्वी यूरोप के देशों जैसे रूस, ग्रीस, इथियोपिया और इजिप्ट में भी मनाया जाता है। यूक्रेन और रूस दोनों ही रशियन ऑर्थोडॉक्स चर्च के अनुयायी हैं, लेकिन यूक्रेनी चर्च को सोवियत युग में कम्युनिस्ट सरकारों के दमन की यादें ताजा हैं। उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता नहीं थी। अब रूसी हमला उन्हें बीते वक्त की याद दिलाता है। यूक्रेन के ऑर्थोडॉक्स चर्च ने 2019 में रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च से अलग होकर अपने को आजाद कर लिया था। अब यूक्रेन के चर्च को अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों से आर्थिक और अन्य मदद मिलती है। ये रूस को मंजूर नहीं है। दुनिया में करीब 24 करोड़ ऑर्थोडॉक्स ईसाई हैं।
देश में विरोध को कम करना चाहते हैं पुतिन
वेस्टर्न मीडिया और पुतिन के देश में विरोधी लगातार ये दावे कर रहे हैं कि रूस की ज्यादातर जनता यूक्रेन से जारी जंग से थक चुकी है। युवाओं को जबरदस्ती सेना में शामिल किया जा रहा है। रूसी सरकार ये भी बताने को तैयार नहीं है कि अब तक कितने सैनिकों की मौत हुई है या फौज को कितना नुकसान हुआ है। माना जा रहा है कि इस दो दिन के सीजफायर से पुतिन देश और दुनिया में अपने विरोधियों को यह मैसेज देना चाहते हैं कि वो जंग नहीं बल्कि अमन के पक्ष में हैं और इसीलिए उन्होंने अपनी तरफ से दो दिन का सीजफायर किया है। वैसे, इसमें दो पेंच हैं और उन्हें समझना जरूरी है।