शोधकर्ताओं को डिमेंशिया रोग से मुकाबले की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने एक नया तरीका खोज निकाला है, जिससे इस बीमारी से बचाव में मदद मिल सकती है। डिमेंशिया में याददाश्त के साथ ही सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है। इसके चलते दैनिक जीवन प्रभावित हो जाता है। यह बीमारी मस्तिष्क में एमिलाइड बीटा नामक प्रोटीन के एकत्र होने होती है।
अध्ययन के नतीजों को जर्नल ब्रेन में प्रकाशित किया गया है। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोसेफ डोघर्टी की अगुआई में शोधकर्ताओं की एक टीम ने चूहों पर किए गए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। उन्होंने पाया कि मस्तिष्क में बेकार पदार्थों मसलन इस तरह के विषाक्त प्रोटीन की सफाई से इस बीमारी के खतरे को टाला जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह तरीका तंत्रिका तंत्र संबंधी दूसरी बीमारियों जैसे पार्किंसन के उपचार में भी प्रभावी हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘इस बारे में पर्याप्त आंकड़ा है कि मस्तिष्क में एमिलाइड बीटा के लेवल में 20 से 25 प्रतिशत तक की कमी लाने का भी बड़ा असर देखने को मिल सकता है। यह तरीका भूलने की बीमारी अल्जाइमर समेत कई तंत्रिका तंत्र संबंधी रोगों के उपचार में मददगार हो सकता है।”