मुस्लिम समाज से संवाद बढ़ाने की पहल के तहत अप्रत्याशित रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत दिल्ली के एक मदरसे में पहुंचे और वहां 300 छात्रों से सीधा संवाद किया। उन्होंने छात्रों को इंसानियत, देशप्रेम और नारी सम्मान का पाठ पढ़ाया। उन्होंने मदरसों के आधुनिकीकरण और छात्रों के लिए आधुनिक शिक्षा पर जोर दिया। पहली बार किसी मदरसे में गए संघ प्रमुख यहां लगभग दो घंटे रहे। उन्होंने छात्रों के साथ चाय-नाश्ता भी लिया। इस दौरान “भारत माता की जय” और “वंदेमातरम” के जयकारे गूंजते रहे। 74 वर्ष पुराना यह मदरसा ताजबीदूल कुरान पुरानी दिल्ली के बाड़ा हिंदूराव में स्थित है। संघ प्रमुख मदरसे में ऐसे वक्त गए हैं, जब मदरसों के सर्वे को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर विवाद उत्पन्न् हो गया है।
इसके पहले सरसंघचालक ने कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित मस्जिद इमाम हाउस में डा. उमेर अहमद इलियासी से मुलाकात की। उनके साथ सहसरकार्यवाह डा. कृष्णगोपाल, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल तथा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के मार्गदर्शक व वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार भी थे। वहां बंद कमरे में लगभग एक घंटे तक मंत्रणा हुई, जिसमें हिंदू-मुस्लिम समाज के बीच आपसी संवाद बढ़ाने के साथ राष्ट्रनिर्माण के पथ पर साथ चलने पर जोर दिया गया।
मदरसे के छात्रों से मुखातिब संघ प्रमुख ने पूछा कि वे बड़ा होकर क्या बनना चाहते हैं। इस पर किसी ने डाक्टर, किसी ने इंजीनियर, आर्किटेक्ट, शिक्षक व चार्टर्ड एकाउंटेंट समेत अन्य क्षेत्र में करियर बनाने के अपने सपने के बारे में बताया। इस पर भागवत ने कहा कि यह तो मदरसे की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में संभव नहीं है। इसलिए यहां की शिक्षा को आधुनिक बनाना होगा, ताकि इन छात्रों के सपने को साकार करने में मदद मिल सके। आल इंडिया इमाम आर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डा. उमेर अहमद इलियासी ने उन्हें बताया कि मदरसे में जल्द ही गणित, विज्ञान, अंग्रेजी के साथ संस्कृत और गीता की भी शिक्षा दी जाएगी, ताकि छात्र भारत और यहां की संस्कृति को अच्छी तरह से जान-समझ सकें।
सभी धर्मों का सम्मान करने की सीख दी
भागवत ने छात्रों से देश की सीमाओं के बारे में सवाल पूछे और देा के विभिन्न् नामों के बारे में भी पूछा। साथ ही दूसरे धर्मों की मान्यताओं का मजाक उड़ाने की जगह सभी धर्मों का सम्मान करने की सीख दी। कहा, कोई भी किसी भी मत-पंथ का हो, सबसे पहले भारतीय हैं। इसे जीवन में गांठ बांधकर रखना होगा। इसी तरह अगर दूसरों के धन को मिट्टी समझेंगे तो हर प्रकार के अपराध पर लगाम लगेगी और सभी अच्छे रास्ते पर चलेंगे। उन्होंने नारी सम्मान को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि हमारे देश की संस्कृति है कि यहां नारियों का भरपूर सम्मान होना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो समाज से कई तरह के अपराध खत्म हो जाएंगे।
पूर्व सरसंघचालक केएस सुदर्शन भी गए थे इस मस्जिद में : डा. उमेर अहमद इलियासी के पिता मौलाना जमील अहमद इलियासी के पूर्व सरसंघचालक केएस सुदर्शन से अच्छे संबंध थे। इलियासी के मुताबिक सुदर्शन भी कई मौके पर मस्जिद में आए थे और उनके पिता से संवाद करते थे। उन्होंने भागवत को “राष्ट्रपिता” व “राष्ट्र ऋषि” बताते हुए कहा कि कुछ माह पहले उन्होंने संघ प्रमुख को मस्जिद और मदरसा आने का आमंत्रण दिया था, जिसे स्वीकार करते हुए वह आए।