नींद के दौरान खर्राटों और सांस लेने में कठिनाई लगभग 12 प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करती है, जो बाद में बड़ी समस्या बन सकती है। एक ताजा अध्ययन में दावा किया गया है एक साधारण नाक के स्प्रे ने बच्चों में खर्राटे और सांस लेने में कठिनाई को काफी कम कर दिया। साथ ही उनके टांसिल हटाने की आवश्यकता को आधा कर दिया।
मर्डोक चिल्ड्रन रिसर्च इंस्टीट्यूट के नेतृत्व में किए गए शोध का निष्कर्ष जामा पीडियाट्रिक्स में हाल में ही प्रकाशित हुआ है। इसके अनुसार, खर्राटे और सांस लेने में कठिनाई महसूस करने वाले बच्चों में छह सप्ताह तक खारा (नमक का पानी) नेजल स्प्रे का उपचार उतना ही प्रभावी था जितना कि एक एंटी-इंफ्लेमेटरी स्टेरायड नेजल स्प्रे।
निष्कर्षों में कहा गया है कि दोनों नाक के स्प्रे लगभग 40 प्रतिशत मामलों में प्रभावी थे। साथ ही टांसिल या एडेनोइड को हटाने की आवश्यकता आधे से कम हो गई थी। द रायल चिल्ड्रन हास्पिटल और मोनाश चिल्ड्रन हास्पिटल में हुए इस स्प्रे के “एमआइएसटी” परीक्षण में 276 बच्चे शामिल थे,जिनकी उम्र तीन से 12 वर्ष थी।
मर्डोक चिल्ड्रन की डा. एलिक बेकर ने बताया कि टांसिल्लेक्टोमी आस्ट्रेलिया में बच्चों के लिए सबसे आम बाल चिकित्सा वैकल्पिक सर्जरी है, जिसमें हर साल 40 हजार से अधिक बच्चे शामिल होते हैं। आमतौर पर खर्राटे की इलाज प्रक्रिया महंगी और दर्दनाक होती है। कुछ बच्चों के टांसिल और एडेनोइड अनावश्यक रूप से निकल रहे होते हैं।