नासा का पर्सेवरेंस रोवर गुरुवार रात मंगल पर उतर गया। नासा की यह कोशिश लाल ग्रह पर मनुष्य को बसाने की उम्मीदों को लेकर बेहद अहम कदम है। रोवर की लैंडिंग के साथ नासा के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। इस सफलता में एक भारतीय मूल की वैज्ञानिक डॉ. स्वाति मोहन का बडा योगदान था। यह जानकारी नासा ने ट्वीट कर दी।
मंगल पर पर्सेवरेंस रोवर की सुरक्षित लैंडिंग के बाद कार्यकारी प्रशासक स्टीव जर्कजी ने अपनी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि टीम ने मंगल ग्रह पर रोवर को उतारने के साथ सभी मुश्किलों और कोरोना की चुनौतियों का सामना करते हुए अच्छा काम किया है। पर्सेवरेंस रोवर को 30 जुलाई 2020 को लॉन्च किया गया था। यह रोवर मंगल ग्रह की सतह पर सूक्ष्मजीवी जीवन के संकेतों की खोज करेगा। साथ टूटी हुई चट्टान और धूल के नमूने एकत्र करेगा। इन नमूनों को आने वाले समय में एक और अभियान के जरिए धरती पर वापस लाया जाएगा। इस दूसरे अभियान के माध्यम से इन नमूनों को साल 2031 में धरती पर लाया जाएगा। मंगल ग्रह पर पर्सेवरेंस रोवर भूविज्ञान और जलवायु का पता लगाएगा।
220 करोड़ डॉलर की कुल लागत वाले इस कार के आकार के स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग का नासा ने सजीव प्रसारण किया। 12 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से सफर कर रहे इस रोवर की गति को धीमा करने के लिए एक सुपरसॉनिक पैराशूट का इस्तेमाल किया गया। इस गति से लंदन से न्यूयॉर्क तक महज 15 मिनट की अवधि में पहुंचा जा सकता है।