लालबाघ के राजा के बाद दगडू सेठ गणेश की इस साल मांग
रायपुर। देश में फैले कोविड-19 ने हर किसी में बदलाव ला दिया है फिर भला गणपति स्थापना इससे कैसे अछूते रह सकते हैं। कोरोना काल में बाहर जाने से बचने के लिए इस बार ट्री गणेशा लोगों के लिए एक अच्छा आॅप्शन बन कर सामने आने वाला है। लोग इसे कोरोना के साथ-साथ पॉलुशन फ्री गणेश के रूप में भी देख रहे हैं। लालबाघ के राजा के बाद अब दगडू सेठ के गणेश जी की मांग भी काफी रहेगी। कहा जाता है कि इसे मन्नत पूरी करने वाले गणेशा के तौर पर लोग घर पर रखते हैं।
22 अगस्त को देशभर में गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। कोविड के कारण इस बार मूर्तिकार के साथ लोगों में भी ये संशय है सार्वजनिक मूर्तियां रखने की इस साल अनुमति मिलेगी की नहीं? ये सवाल हर किसी के मन में है। इस कश्मकश के बीच कुछ मूर्तिकारों ने ट्री गणेशा तैयार किए हैं, जिसकी मूर्ति 10 से 18 इंच की होगी। सभी मूतियों की मिट्टी में फूलों के बीज डाले जा रहे हैं, जो विसर्जन के कुछ समय बाद एक फूल के पौधे के तौर पर भक्तों के साथ ही रहेंगे। छोटी होने के कारण इस मूर्ति को भक्तों को तालाब में विसर्जन करने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि इसे गमले में विसर्जित किया जा सकेगा। राजधानी के मूर्तिकार करण सिंह राजपूत ने इसे ट्री गणेशा का नाम दिया है, क्योकि इससे बाद में एक पौधा लगेगा।
वह कहते हैं कोरोना के बढ़ते ग्राफ में गणपति विसर्जन करने जाना भी लोगों के लिए मुश्किल होगा। इस लिए वे इस बार ट्री गणेशा की थीम पर तैयार मूर्तियां लेकर आ रहे हैं।
सदर बाजार के मूर्तिव्यवसायी संजय नायक ने भी पर्यावाण को ध्यान में रखते हुए पिछले साल से ही बीज युक्त मूर्तियां तैयार की थीं। वे कहते हैं प्रदूषण और विसर्जन की समस्या को देख कर फूलों और फलों के बीज डालकर मूर्ति तैयार की गई थी इस बार भी वैसे ही मूर्ति बना रहे हैं, जिसे घर पर बाल्टी में विसर्जन करने के बाद आसानी से गमले में लगाया जा सकेगा। इस साल लोगों को साथ में गमले भी दिए जाएंगे जिससे विसर्जन के लिए बाहर न जाना पड़े और प्रदूषण व कोरोना दोनो से बचत हो जाए।
दगडू सेठ गणेशा करेंगे मन्नत पूरी
पूना में दगडू सेठ के गणेश जी काफी प्रसिद्ध हैं उनकी प्रसिद्धी अब राजधानी में भी फैल रही है। इस साल राजधानी में भी दगडू सेठ गणेशा की मूर्तियों की मांगी की जा रही है। करण बताते हैं कि पूणे में एक व्यवसायी थे दगडू सेठ जो संतान प्राप्ती के लिए गणेश की प्रतिमा रखे थे। मन्नत पूरी होने के बाद उन्होंने गणेश जी का विशाल मंदिर बनवाया, जो बोलचाल की भाषा में दगणू सेठ गणेश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। मान्यता है कि उस मंदिर में हर किसी की मानता पूरी होती है और तभी से पूना और मुंबई के मूर्तिकारों ने लाल बाघ के राजा की तर्ज पर दगडू सेठ गणेशा की भी मूर्ति बनाने लगे। कुछ लोगों की खास मांग पर ये मूर्ति इस साल अधिक संख्या में रायपुर भी मंगाई जा रही है, जिसकी कीमत तीन हजार से शुरु होगी। व्यवसायियों की माने तो इस साल बाहर से मंगाई जाने वाली मूर्तियों की कीमत हर साल की तुलना में अधिक होगी। कोविड के कारण इस साल न ही कारीगर मिल रहे हैं और ना ही मटेरियल यही कारण है कि दाम ज्यादा बढ़े हैं। इसके साथ ही ट्रांसपोटिंग चार्ज भी हर साल की तुलना में अधिक लग रहा है।