सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लगे लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को लेकर बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”प्रवासियों को 15 दिनों में वापस भेजा जाए। राज्य श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोज़गार देने की स्कीम तैयार करें। इसके लिए पलायन कर गए सभी श्रमिकों की पहचान कर पूरी विस्तृत जानकारी वाला डाटा तैयार किया जाए। फिर उनको समुचित रोजगार देने की स्किम बनाई जाए।
कोर्ट ने आगे कहा कि प्रवासियों की पहचान के लिए योजना निर्धारित हो। प्रवासियों की स्किल मैपिग हो ताकि तय करना आसान हो कि उन्हें कुशल या अकुशल कौन सा कार्य सौंपा जाए। प्रवासियों के खिलाफ सभी शिकायतों व मुकदमों को को वापस लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मजदूरों को सभी स्कीम का लाभ दिया जाए और स्कीमों के बारे में मजदूरों को बताया भी जाए।
अदालत ने आगे कहा कि श्रमिक ट्रेनों की मांग की स्थिति में रेलवे 24 घंटे के भीतर ट्रेनें उपलब्ध कराएगा। साथ ही रेलवे प्रवासी श्रमिकों को सभी योजनाएं प्रदान करेगा और उन्हें प्रचारित करेगा। शीर्ष अदालत ने कहा सभी राज्यों से योजनाओं, रोजगार सृजन आदि को लेकर अपना विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कहा है। अब मामले की अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी।
गौरतलब है कि प्रवासी मजदूरों के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। इस मामले में 5 जून को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम सभी प्रवासियों को घर पहुंचाने के लिए आपको 15 दिन का समय देंगे। सभी राज्यों को रिकॉर्ड पर लाना है कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत प्रदान करेंगे।