नई दिल्ली। टीम इंडिया इंग्लैंड के दोहरे मिशन पर है. इस मिशन पर कुल मिलाकर उसे 6 टेस्ट मैच खेलने है, जिसकी शुरुआत ही वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल से है. सुनील गावस्कर समेत क्रिकेट के कई पंडितों ने न सिर्फ वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप में भारत की जीत की बात की है बल्कि इंग्लैंड के खिलाफ भी क्लीन स्वीप की उम्मीद जताई है. पर बड़ा सवाल ये है कि क्या ऐसा मुमकिन है. क्रिकेट से जुड़े आंकड़ों को देखकर कहें तो शायद नहीं. दरअसल, टीम इंडिया पर एक 35 साल पुराना बोझ है. वो बोझ अगर इस बार भी नहीं उतरा तो समझ लीजिए बात इतनी बिगड़ेगी, जितनी पहले कभी नहीं बिगड़ी होगी. अब आप सोच रहे होंगे कि 35 साल पुराना ये बोझ आखिर है क्या. दरअसल, ये जुड़ा है इंग्लैंड दौरे पर खेले जाने वाले शुरुआती मुकाबले से. इंग्लैंड मिशन पर भारत अपने 6 टेस्ट मैचों की कहानी की शुरुआत वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप से करेगा. अब यहीं पर कहानी में ट्विस्ट है. 35 साल से चले आ रहे बोझ का दबाव विराट एंड कंपनी पर बढ़ जाता है।भारतीय टीम पर बोझ ये है कि उसने इंग्लैंड में पिछले 35 सालों से अपना पहला टेस्ट मैच नहीं जीता है. भारत की टीम ने आखिरी बार पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड में साल 1986 में जीता था. ये टेस्ट मैच लॉड्सज़् में खेला गया था और इसमें दिलीप वेंगसरकर ने शतक जबकि दूसरी इनिंग में कपिल देव ने 4 विकेट चटकाए थे. तब से लेकर मौजूदा दौरे से पहले तक भारत ने इंग्लैंड के 5 दौरे किए पर कभी पहला टेस्ट नहीं जीता. इन 5 दौरों में 3 बार उसे पहले ही टेस्ट में मुंह की खानी पड़ी जबकि 2 मौकों पर पहला टेस्ट ड्रॉ रहा। विराट एंड कंपनी को इंग्लैंड मिशन की शुरुआत वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप से करनी है. यानी, इस दौरे का पहला मैच उन्हें टेस्ट क्रिकेट के वल्र्ड कप के तौर पर खेलना है. ऐसे में टीम इंडिया अगर 35 साल पुराना बोझ इस बार भी नहीं उतार सकी तो उसकी कीमत उसे टेस्ट क्रिकेट के वल्र्ड चैंपियन की ट्रॉफी गंवाकर चुकानी होगी. और, ये अब तक का सबसे बड़ा नुकसान साबित हो सकता है।
तारीख का भी अडंगा
वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप को लेकर भारतीय टीम के साथ एक और अडंगा है. इसकी शुरुआत 18 जून से है. और, इतिहास गवाह है कि इस तारीख को खेला एक भी मैच भारत जीत नहीं सका है. यानी अगर कुछ बड़ा करना है तो इस बार टीम इंडिया को 35 साल पुराना बोझ भी उतारना होगा और 18 जून की अपनी तकदीर भी बदलनी होगी.