वाराणसी में वर्ष 2006 में हुए सिलसिलेवार बम धमाके के मामले में गाजियाबाद की जिला एवं सत्र अदालत ने आतंकी वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाते हुए 4.05 लाख रुपये जुर्माना लगाया। साथ ही अदालत ने आदेश दिए कि वलीउल्लाह को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए। दोषी आतंकी वलीउल्लाह प्रयागराज का रहने वाला है।
सात मार्च, 2006 को वाराणसी में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। पहला बम धमाका शाम 6.15 बजे वाराणसी के लंका थानाक्षेत्र में संकटमोचन मंदिर में हुआ था। इसमें सात लोग मारे गए थे और 26 घायल हुए थे। उसी दिन 15 मिनट के बाद 6.30 बजे दशाश्वमेध घाट थानाक्षेत्र में जम्मू रेलवे फाटक की रेलिग के पास कुकर बम मिला था। पुलिस की मुस्तैदी के चलते यहां विस्फोट होने से बचा लिया गया था। इसके पांच मिनट बाद 6.35 बजे जीआरपी वाराणसी थानाक्षेत्र में वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी विश्राम कक्ष के सामने धमाका हुआ था। इसमें 11 लोग मारे गए थे और 50 लोग घायल हुए थे।
सोमवार को सजा पर सुनवाई के दौरान अदालत ने अभियोजन व बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलील सुनी। अदालत ने लंका थानाक्षेत्र व दशाश्वमेध घाट थानाक्षेत्र में हुई घटना के मामले में दोषी आतंकी वलीउल्लाह को हत्या, हत्या का प्रयास, चोटिल व अंग भंग करने, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व आतंकी गतिविधि के आरोपों में फांसी की सजा सुनाई। जीआरपी वाराणसी थानाक्षेत्र में वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के विश्राम कक्ष के सामने हुए धमाके, जिसमें 11 लोग मारे गए थे और 50 लोग घायल हुए थे। इसमें साक्ष्यों के अभाव में अदालत ने गत श्ानिवार को उसे बरी किया था।
तीनों मामलों में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई थी। आरोपितों के नाम पुलिस ने विवेचना में उजागर किए थे। तीनों मामलों में वलीउल्लाह के अलावा बशीर जकारिया, मुस्तफीज व मोहम्मद जुबैर भी आरोपी थे। मोहम्मद जुबैर नौ मई, 2006 को जम्मू कश्मीर में एलओसी पर पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। वह बागपत के टाडा गांव का रहने वाला था। बशीर, जकारिया और बांग्लादेशी मुस्तफीज को पुलिस अभी तक नहीं पकड़ पाई है। उनके देश छोड़कर भाग जाने की आशंका है।
आतंकी वलीउल्लाह के चेहरे पर सजा से पहले खौफ साफ- साफ दिखा। आतंकी को अंदेशा हो गया था कि अदालत से उसे फांसी से कम सजा नहीं होगी। यही कारण है कि वह अपनी बूढ़ी मां और परिवार की दुहाई देकर रहम मांगता रहा। जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने जैसे ही उसे फांसी की सजा सुनाई, दोषी का चेहरा उतर गया। कुछ देर तक चुपचाप आसमान की ओर देखता रहा और फिर अदालत परिसर में ही एक कोने में जाकर नमाज पढ़ी।
आतंकी वलीउल्लाह पर से तत्कालीन सपा सरकार ने गुपचुप तरीके से मुकदमा वापसी की तैयारी शुरू कर दी थी। 2006 में तत्कालीन विशेष सचिव राजेंद्र कुमार की ओर से इस संबंध में जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया था। इसकी भनक लगने पर हर तरफ विरोध शुरू हो गया और मुलायम सरकार को पीछे हटना पड़ा।