
रायपुर, 8 अक्टूबर 2025।राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आज आयोजित राज्य स्तरीय परंपरागत वैद्य सम्मेलन में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली हमारी सांस्कृतिक पहचान और जनसेवा की धरोहर है।
उन्होंने घोषणा की कि राज्य सरकार सभी पंजीकृत वैद्यों को प्रशिक्षण देकर पंजीयन प्रमाणपत्र प्रदान करेगी, ताकि दस्तावेज़ों के अभाव में उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
मुख्यमंत्री का स्वागत प्रदेशभर से आए वैद्यों ने जड़ी-बूटी की माला पहनाकर किया। उन्होंने औषधीय पौधों की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
साय ने पद्मश्री हेमचंद मांझी का उल्लेख करते हुए कहा कि “मांझी जैसे वैद्य अपने पारंपरिक ज्ञान से गंभीर बीमारियों का इलाज कर रहे हैं। अमेरिका जैसे देशों से लोग उनके पास उपचार के लिए आते हैं, यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत में लगभग 60 से 70 हजार वैद्य सक्रिय हैं, जिनमें से करीब 1500 छत्तीसगढ़ में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी मान्यता दी है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में डेढ़ हजार से अधिक औषधीय पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं और राज्य ने एक हर्बल स्टेट के रूप में पहचान बनाई है। दुर्ग जिले के पाटन के जामगांव में औषधीय अर्क निकालने के लिए कारखाना स्थापित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय के माध्यम से विशेष पहल कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार भी क्लस्टर आधारित मॉडल के जरिये वैद्यों को रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण से जोड़ने पर काम कर रही है।
कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने वैद्यों की तुलना रामायण काल के सुषेन वैद्य से करते हुए कहा कि उनका योगदान मानव और पशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए अमूल्य है।
बोर्ड अध्यक्ष विकास मरकाम ने बताया कि सम्मेलन में 1300 से अधिक वैद्यों का पंजीयन हुआ है। “नवरत्न योजना” के तहत हर्रा, बहेड़ा, आंवला, मुनगा जैसे औषधीय पौधे लगाए जाएंगे।
पद्मश्री हेमचंद मांझी ने कहा कि सही औषधि संयोजन और ज्ञान से वैद्य कई गंभीर रोगों, यहाँ तक कि कैंसर का भी उपचार कर सकते हैं।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही. श्रीनिवास राव ने कहा कि जिन क्षेत्रों में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंचतीं, वहां वैद्य परंपरा आज भी लोगों की सेवा कर रही है।
मुख्यमंत्री की उपस्थिति में वैद्यों ने सत्यनिष्ठा और गोपनीयता की शपथ ली। इस अवसर पर 25 वैद्यों को कच्ची औषधीय पिसाई मशीनें प्रदान की गईं। साथ ही डॉ. देवयानी शर्मा की पुस्तक का विमोचन भी किया गया, जिसमें दुर्ग वन क्षेत्र की पारंपरिक उपचार पद्धतियों का संकलन है।
कार्यक्रम में आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रदीप कुमार पात्रा, जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी, और बड़ी संख्या में वैद्य व नागरिक उपस्थित रहे।