दुनिया के सबसे संपन्न देशों के समूह जी 7 में शामिल फ्रांस, जर्मनी और इटली के नेताओं ने युद्ध के बीच यूक्रेन पहुंचकर वहां के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की। इन तीनों नेताओं के साथ रोमानिया के राष्ट्रपति क्लाज इयोहानिस भी थे। चारों नेताओं ने युद्ध में यूक्रेन की जनता के जज्बे की भूरि-भूरि प्रशंसा की और पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
24 फरवरी को रूस का हमला होने के बाद यूरोप के चार प्रमुख देशों के नेता इस तरह से पहली बार समर्थन जताने यूक्रेन पहुंचे। कीव में उन्होंने राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की और उनके साथ युद्ध और यूक्रेन की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की। इस दौरान जेलेंस्की ने एक बार फिर लंबी दूरी के हथियारों की मांग उठाई। साथ ही यूरोपीय यूनियन (ईयू) की सदस्यता की दरकार की। मेहमान नेताओं ने दोनों ही मांगों पर सहमति जताते हुए सहयोग का आश्वासन दिया। इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर ओलफ शुल्ज, इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी और रोमानिया के राष्ट्रपति इयोहानिस ने कीव के नजदीक स्थित इरपिन कस्बे का दौरा किया और वहां पर रूसी हमले से खंडहर बनी इमारतों को देखा। वहां पर रूसी सैनिकों की बर्बरता के शिकार हुए लोगों को लाशें भी मिली थीं। चारों नेताओं ने रूसी सेना से मुकाबला करने वाले इरपिन के लोगों की बहादुरी की प्रशंसा की। जर्मन चांसलर ने इसे असीम क्रूरता की संज्ञा दी और इसे बेमतलब की हिसा करार दिया।
खंडहर में तब्दील इमारतों के बीच खड़े होकर चारों नेताओं ने लोगों से आपबीती सुनी। इस दौरान यूक्रेनी मंत्री ने वहां पर बचाव के लिए किए गए उपायों की जानकारी दी। नेताओं ने वह कार भी देखी जिसमें बैठे मां और उसके छोटे से बेटे को रूसी सैनिकों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। हालांकि रूस ने इस घटना से इन्कार किया था। मैक्रों ने इरपिन को बहादुर शहर कहा, जो बर्बरता झेलकर भी खड़ा रहा। चारों नेता सामान्य तरीके से पहने जाने वाले सूट में थे, उन्होंने बुलेटप्रूफ जैकेट या हमले से बचाव वाला कोई लिबास नहीं पहना था। हां, उन्हें हथियारों से लैस यूक्रेनी सैनिकों ने सघनता से घेर रखा था। यूक्रेन ने कहा है कि उसने फिर चारों नेताओं से लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों की जरूरत बताई है जिनसे वह रूसी हमलों का मुकाबला कर सके। रूस पर दिए बयान की यूक्रेन में हुई निंदा के सवाल पर मैक्रों ने कहा, फ्रांस और यूरोप यूक्रेन के साथ शुरू से खड़े हैं। उनकी मंशा पर सवाल उठाना गलत है।
यूरोपीय नेताओं के यूक्रेन दौरे पर प्रतिक्रिया में रूस ने कहा है कि इस मौके का इस्तेमाल हथियारों की मांग के लिए नहीं बल्कि यूक्रेन की वास्तविक समस्याओं पर चर्चा के लिए होना चाहिए। रूसी सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने इस दौरे को फिजूल करार दिया है। कहा कि इस दौरान यूरोपीय देश्ाों ने अपनी पुराने टैैंक और तोपें यूक्रेन को देने का वादा किया होगा।