
सुप्रीम कोर्ट देहरादून की एक निचली अदालत में एक मामले की सुनवाई के 78 स्थगनों से नाराज होकर छह महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया। यह मामला वर्ष 2014 से चल रहा है, जो तीन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी से जुडा है।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षतावाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि सात साल पुराने मामले में सुनवाई निचली अदालत में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी। पीठ ने जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह निर्धारित तारीखों में गवाहों को परीक्षण के लिए अदालत में पेश करे। हम निचली अदालत को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से छह महीने के भीतर सुनवाई पूरी की जाए।
पीठ ने कहा, हमें यह निर्देश इसलिए जारी करना पड़ा, क्योंकि हमने देखा कि निचली अदालत सात साल पहले संज्ञान लेने और 78 स्थगन के बावजूद इस मामले पर एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी। यहां तक कि आरोप भी तय नहीं किए गए।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मामले के जल्द निपटारे की याचिकाकर्ता डा. अतुलकृष्ण की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद वह शीर्ष कोर्ट पहुंचे थे। उनकी याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने 15 सितंबर को यह आदेश जारी किया। याचिकाकर्ता ने वर्ष 2012 में मेरठ जिले के जानी थाने में प्रतिवादियों के खिलाफ भूमि सौदे को लेकर धोखाधड़ी और जालसाजी की एफआइआर दर्ज करवाई थी।










