
आपका नजरिया कैसा है ये आप पर तय करता है। वरना घर की सीधी हमेशा एक तरह की रहती है आप तय करेंगे की आपको ऊपर की ओर जाना है या नीचे की ओर।
हम कुछ बिगड़ जाने पर निराश होते है और किस्मत को दोष देने लगते हैं कभी कभी इस दोषारोपण में वक्त भी आ जाता है और उसे भी भला बुरा बोले देते है पर यह नहीं सोचते की चूक कहां हुई। क्यों हमे सफल होने के पहले भी ईश्वर ने रोक दिया। हमे और क्या करना था। अगर हम दूसरों को दोषी ठहराने से अच्छा आत्म अवलोकन करें तो जरूर सफलता मिलेगी।