हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. हर महीने दो प्रदोष व्रत होते हैं. एक शुक्ल पक्ष में पड़ती है और दूसरी कृष्ण पक्ष में. प्रदोष में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. इस महीने त्रयोदशी 02 फरवरी, गुरुवार के दिन पड़ रही है जिसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते है पूजा शुभ मुहूर्त और विधि.
जानें प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती का पूजन करना भी अनिवार्य होता है. इस दिन यदि पूरे शिव परिवार का विधि-विधान से पूजन किया जाए तो भगवान शिव अपने भक्त पर विशेष कृपा बरसाते हैं. महिलाएं प्रदोष व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं. इसके अलावा जो महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना रखती हैं उनके लिए भी यह व्रत बहुत ही फलदायी माना गया है.
इस समय की जाती है पूजा-आराधना
इस व्रत में सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक पूजा की जाती है. इस दिन पूजा-पाठ करने से वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. स्कंदपुराण के अनुसार जो भक्त प्रदोषव्रत के दिन शिवपूजा के बाद शांत मन से प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है तो उसके घर में सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती.
गुरु प्रदोष व्रत तिथि
गुरु प्रदोष व्रत का आरंभ: 02 फरवरी 2023, सायं 04:25 मिनट से
गुरु प्रदोष व्रत समाप्त:03 फरवरी सायं 06: 58 मिनट पर होगा
दिन के अनुसार प्रदोष व्रत के नाम
सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने पर इसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं.
मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को मंगल प्रदोष या भूमा प्रदोष व्रत कहते हैं.
बुधवार के दिन अगर त्रयोदशी तिथि आती है तो इसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं.
गुरुवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष कहते हैं.
वहीं शुक्रवार के दिन होने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष कहते हैं.
शाम को होती है पूजा
प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय ही की जाती है तो पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के 06 बजे से रात के करीब 08 बजकर 40 मिनट तक कर सकते है. पूजा मुहूर्त शाम 06 बजकर 01 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 38 मिनट तक होगा.
गुरु प्रदोष व्रत 2023 पूजा विधि
गुरु प्रदोष व्रत पर सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें.
फिर भगवान शिव के सामने दीपक जलाएं.
पूजा करते समय व्रत का संकल्प लें.
पूजा के दौरान भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग रूप का गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से अभिषेक करें.
भगवान भोलेनाथ को अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें. इस दौरान ”ओम नमः शिवाय”मंत्र का उच्चारण करते रहें.
इसके बाद विधि पूर्वक पूजन करें और अपने व्रत का पारण करें.
इससे भगवान शिव प्रसन्न होंगे और उनका आशीर्वाद मिलेगा.