रायपुर,पूनम ऋतु सेन।यदि आप नेचर प्रेमी हैं जो वन, वन्य जीव-जंतु और वाटरफॉल्स का लुफ्त लेना चाहते हैं तो आप दूसरे राज्य में जाने के बजाए यहां छत्तीसगढ़ राज्य में ही वाइल्ड लाइफ को करीब से देखने और घूमने का शौक आसानी से पूरा कर सकतें हैं। हम आज इस पोस्ट में छत्तीसगढ़ के एक ऐसे ही स्थल के बारे में बताने वाले हैं जो पूरी तरह एडवेंचर से भरा हुआ है, यह स्थल है गरियाबंद ज़िले का उदन्ती अभ्यारण्य। मध्यप्रदेश के कान्हा किसली जाने के लिए यदि रायपुर से 5 से 6 घण्टे लगतें हों तो वहीं 3.30 से 4 घण्टों में आप उदयन्ती पहुँच सकतें हैं।
• पर्यटन स्थल की जानकारी
उदंती नाम की उत्पत्ति पश्चिम से पूर्व की ओर बहने वाली उदंती नदी से हुई है। यह मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्र है और कुछ हिस्से सादे इलाके हैं। 238 km में फैले उदंती वन्यजीव अभ्यारण्य को बाइसन की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों के लिए जाना जाता है। उदंती वन्यजीव अभयारण्य वर्ष 1983 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत स्थापित किया गया था, जिसे 1972 में पारित किया गया था। उदंती वन्यजीव अभ्यारण्य छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। अनेकानेक पहाड़ियों की श्रृखंला एवं उनके बीच फैली हुई मैदानी पट्टियों से इस अभयारण्य की विशेषाकृति तैयार हुई है।
• यहाँ तक कैसे पहुँचे-
1.वायु मार्गः रायपुर (175 कि.मी.) निकटमत हवाई अड्डा है जो मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलूरू, विशाखापट्नम, चेन्नई एवं नागपुर से वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है।
2.रेल मार्ग: हावड़ा-मुंबई मुख्य रेलमार्ग पर रायपुर समीपस्थ रेल्वे जंक्शन है।
3.सड़क मार्ग: पर्यटक अपने लिये जीप, कार रायपुर, गरियाबंद एवं मैनपुर से किराये पर ले सकते है।
आवागमनः पर्यटक अभ्यारण्य विचरण के लिए लिये स्वयं जीप, कार रायपुर, गरियाबंद एवं मैनपुर से किराये पर ले सकते हैं।
-पर्यटक इस बात का ध्यान रखें कि इस स्थल को अच्छी तरह एक्सप्लोर करने के लिए कम से कम 2 दिनों की यात्रा का प्लान बना सकते हैं, जिससे इस स्थल की जानकारी के साथ ही शांत घने जंगल की वादियों में कुछ समय सुकून के साथ बिता सकतें हैं।
• भ्रमण का महीना– 1 नवंबर से 30 जून तक
• आवास व्यवस्था
1.वन विश्रामगृह – तौरेंगा-चार कमरे ।
2.वन विश्रामगृह – मैनपुर- दो कमरे ।
3.वन विश्रामगृह – करलाझर – दो कमरे ।
4.वन विश्रामगृह – कोयबा (इंदागांव) – दो कमरे ।
5.वन विश्रामगृह – जुगाड़- दो कमरे । –
6.लोक निर्माण विभाग का विश्राम गृह – मैनपुर – दो कमरे ।
पहला पड़ाव- उदयन्ती अभयारण्य
यदि आप राजधानी रायपुर से इस स्थल के लिए सुबह प्रस्थान करतें हैं, तब लगभग 3.30-4 घण्टे सड़क मार्ग से जाने के बाद यहाँ पहुँचेंगे, इस बीच उदंती की लहराती पहाड़ियां घने वनों से आच्छादित सड़कें बरबस ही आपका मन मोह लेंगे।
अभ्यारण्य का प्रमुख आकर्षण
विशाल मैदान के साथ यहां के वनों में साजा, बीजा, लेंडिया, हल्दू, धाओरा, आंवला, सरई, एवं अमलतास जैसी प्रजातियों के वृक्ष पाए जाते हैं। अभयारण्य का उत्तरी-पश्चिमी भाग साल के वृक्षों से सुसज्जित है। फरवरी माह में उदंती नदी का बहाव रूक जाता है। बहाव रुकने से नदी तल के जल में जल के सुंदर एवं शांत ताल निर्मित हो जाते हैं।
उदंती में पक्षियों की 120 से भी ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें कई प्रवासी पक्षी शामिल हैं। इनमें से कुछ हैं जंगली मुर्गे, फेजेन्ट, बुलबुल, ड्रोंगे, कठफोड़वा आदि। उदंती संपूर्ण रूप से विशिष्ट प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण अभयारण्य है।
चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, एवं सियार यहां आमतौर पर आसानी से देखे जा सकते हैं। तेंदुआ, भालू जंगली कुत्ते, जंगली बिल्ली, साही, लोमड़ी, धारीदार लकड़बग्घा, गौर, चौंसिंगा एवं हिरण भी पाए जाते हैं। बाघ हालांकि काफी संख्या में है, लेकिन स्वभाव से शर्मीले होने की वजह से कम ही दिखाई देते हैं।
उदंती ऐसा विरल बीहड़ स्थल है। जहां सबसे बड़े स्तनपायी प्राणियों में से एक जंगली भैंसा व गौर एक साथ देखे जा सकते हैं। इस अभयारण्य के निर्माण का विशिष्ट कारण विलुप्त प्रजातियों का मौजूद होना है, जैसे:- जंगली भैंसा (बिबालुस, बुबालिस)।
दूसरा पड़ाव- गोड़ेना जलप्रपात
वाइल्ड लाइफ के साथ ही ट्रैकिंग का लुफ्त लेना चाहें तो गोड़ेना वाटरफाल बेहतरीन विकल्प होगा। यह जलप्रपात करलाझर ग्राम से 8 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। स्थल पर पहुंचने के लिए घने वन एवं नदी के किनारे लगभग 800 मीटर पैदल चलना पड़ता है। रंगबिरंगी चट्टानों के सामान्य ढाल से लगभग 250 मी. बहते हुए पानी को बच्चे फिसल पट्टी के रूप में भी उपयोग करते हैं। यह स्थल एकांत में है एवं बहुत ही मनोरम है, जहां झरने की कलकल की ध्वनि, पहाड़ी से बहती हुई सुनाई देती है। पर्यटकों के लिए पिकनिक का यह अच्छा स्थान है। यहाँ पर्यटक पसन्दीदा फोटो खूबसूरत दृश्यों के साथ ले सकतें हैं।
तीसरा पड़ाव- देवधारा जलप्रपात
देवधारा जलप्रपात – तौरेंगा से 17 कि.मी. की दूरी पर यह जलप्रपात है। जहां पहुंचने के लिए 1.5 कि.मी. पैदल चलना पड़ता है। मिश्रित वनो से घिरा हुआ यह स्थान बहुत ही खूबसूरत है। बहुत बड़ी चट्टान के नीचे पूर्ण कटाव से ऐसा लगता है जैसे चट्टान आसमान में हो और नीचे गहरा जल भराव है। 40 फुट की ऊंचाई से गिरती जलधारा एवं पीछे दूर तक नदी में भरा हुआ जल एक अद्भुत दृश्य बनाता है।
चौथा पड़ाव- सिकासेर जलाशय
सिकासेर जलाशय- अभयारण्य पहुंच मार्ग पर रायपुर देवभोग राज्य मार्ग पर धवलपुर से 3 कि.मी. पहले बाएं और 16 कि.मी. की दूरी पर स्थित सिकासेर जलाशय जो पैरी नदी पर बना है, जहां ऊपर एवं नीचे दोनों स्थानों पर सुंदर देवालय है। ऊपर पहाड़ी पर अति सुंदर प्राकृतिक कुंड है जहां प्रति वर्ष मेला लगता है। इसी जलाशय पर जल विद्युत संयंत्र भी है। जलाशय के नीचे लगभग 700 मीटर तक प्राकृतिक ढलानी चट्टानों से लगातार बहती हुई धारा बहुत ही सुंदर लगता है। कई स्थानों पर चट्टानों के बीच ठहरा हुआ पानी प्राकृतिक स्वीमिंग पुल बनाता है। यह स्थल प्री वेडिंग शूट के लिए फोटोग्राफर्स का पसंदीदा विकल्प है।
इसके अतिरिक्त यदि आप ऑनलाइन रूम बुक कराना चाहते हैं तो छत्तीसगढ़ टूरिज्म के वेबसाइट http//www.tourism.cg.gov.in पर बुकिंग करा सकतें हैं। साथ ही पर्यटन मंडल के टोल फ्री नम्बर 18001026415 में कॉल कर विस्तृत जानकारी ले सकतें हैं।
निवेदन:- जब भी आप प्राकृतिक स्थल में जाए, तो सफाई का विशेष ध्यान रखें। जिसमे हमारे प्राकृतिक स्थल को हानि ना पहुंचे, और सैलानियों के लिए लगातार आकर्षण का केंद्र बने रहे।