भानुप्रतापपुर। दिनों – दिन बढ़ रही महंगाई ने लोगों के घरों का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा घरेलू रसोई गैस की कीमतों को लगातार बढ़ाए जाने से उपभोक्ता परेशानी में हैं । इसका सीधा असर अब घरों में किचन पर देखने को मिल रहा है । हालात यह हैं कि ग्रामीण इलाकों में उज्ज्वला योजना में दिए गए गैस सिलेंडर को अब लोग कुर्सी – टेबल की तरह बैठने के लिए काम ले रहे हैं, जबकि खाना लकड़ी – कोयले से जलने वाले चूल्हों पर बनाया जाने लगा है । गौरतलब है कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दी जा रही उज्ज्वला योजना में 370 रुपए की सब्सिडी के बावजूद ग्रामीण उपभोक्ता सिलेंडर लेना उचित नहीं समझ रहे हैं। उन्होंने पुराने चूल्हों का उपयोग शुरू कर दिया है। वहीं शहरी उपभोक्ता मजबूरी में गैस इस्तेमाल कर रहे हैं । शुरुआत में कुछ दिनों तक किया उपयोग, उसके बाद से कई घरों में कबाड़ में पड़े हैं सिलेंडर, तो कई ने बेच दिए। केंद्र सरकार ने मई 2016 को उज्ज्वला योजना शुरू की थी। इसके तहत ग्रामीण उपभोक्ताओं को नि:शुल्क गैस सिलेंडर दिए गए , ताकि ग्रामीण क्षेत्र को महिलाएं भी रसोई गैस का इस्तेमाल कर सकें। इसके बाद गैस सिलेंडरों के बढ़ते दामों का असर यह रहा कि महिलाएं फिर से परंपरागत संसाधन चूल्हे पर आ गईं और उज्ज्वला के चूल्हे ठंडे हो गए। भानुप्रतापपुर ब्लॉक में लगभग 10 हजार परिवारों को उज्ज्वला योजना की तरफ से गैस सिलेंडर का वितरण किया गया था।
जिसमें 10 प्रतिशत हितग्राही सिलेंडर का रिफिलिंग करा रहे हैं। ऐसे में एक फिर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं गैस स्टोव पर खाना बनाना छोड़कर लकड़ी से चूल्हा जलाने पर मजबूर हैं। ग्रामीण इलाकों में स्थिति यह है कि रसोई गैस के आए दिन बढ़ते दामों को देखते हुए कई लोगों ने रसोई गैस सिलेंडर बेच दिए, कई लोगों ने सिलेंडरों को कबाड़ में डाल रखा है तो कई लोगों ने रसोई गैस सिलेंडरों को अपने रिश्तेदारों को दे दिया और स्वयं लकड़ी से चूल्हा जलाना शुरू कर दिए हंै । ग्राम बांसला निवासी कुमारी बाई चक्रधारी का कहना है मुझे तीन साल पहले उज्ज्वला योजना का चूल्हा मिला था, किंतु लगातार गैस के दाम बढऩे की वजह से यह कबाड़ में पड़ा हुआ है, क्योंकि घर चलाने के लिए मजदूरी कर घर चार सदस्यों का पेट भरना मुश्किल है । ऐसे में गैस सिलेंडर भरवाने के लिए कहां पैसों का जुगाड़ करें। ग्राम घोटा निवासी ललित बाई दुग्गा, प्रमिला बाई कोमरा, सावेत्री बाई दर्रो, पार्वती कोमरा, लखनतीं बाई दर्रो ने बताया उज्ज्वला योजना का सिलेंडर मिला था, उसी दौरान शुरुआत में सिलेंडर का उपयोग किया था। उसके बाद टंकी को नहीं भरवा रहे हैं। क्योंकि गैस सिलेंडर का दिनों दिन दाम बड़ रहा है अभी 1141 रुपया हो गया है। दिन भर महेनत करने के बाद बड़ी मुश्किल से 150 से 200 रुपया मज़दूरी मिलती है। इतनी कम मज़दूरी में गैस में खाना बनाना बड़ी मुसीबत है।