प्रदेश के सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी पंडित रविशंकर शुक्ल इन दिनों सवालिया निशान के घेरे में है। दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग में पदस्थ उपकुलसचिव शैलेन्द्र कुमार पटेल पर फर्जीवाड़ा करने और गलत तरीके से नौकरी लेने का आरोप है। उन पर उदंडता, भ्रष्टाचार और निरंकुशता सहित कई आरोप भी लगे हैं। इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने जांच कमेटी भी गठित किया है। कई दौर की जाँच में फर्जीवाड़ा की पुष्टि होने के बाद भी विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव के पद पर कुंडली मार कर बैठे हैं। विभाग के किसी अधिकारी में हिम्मत नहीं कि कोई इसका बाल भी बांका नहीं कर पाए। कई शिकायतें और जाँच के बाद भी प्रभारी कुलसचिव का जिम्मा विभागीय अफसरों ने सौप रखा है।
उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में उपकुलसचिव शैलेन्द्र कुमार पटेल की योग्यता और अनुभव पर शुरू से सवाल खड़े हो रहे हैं। उनकी योग्यता और अनुभव संबंधी दस्तावेज फर्जी पाए गए। इसके बाद फिर से जाँच करने का आदेश दिए गए हैं। कई दौर की जाँच में फर्जी पाए जाने के बाद फिर पटेल के शैक्षणिक और अनुभव संबंधी दस्तावेजो की जाँच किया जाएगा। इससे पहले पटेल के योग्यता और अनुभव की जाँच तीन बार अपर संचालक और संयुक्त संचालक, आयुक्त उच्च शिक्षा एवं तीन प्राचार्यो की समिति ने किया और पटेल को उपकुलसचिव और कुलसचिव हेतु निर्धारित योग्यता को पूरा नहीं करने संबंधी रिपोर्ट शासन को सौपा है।
अब चौथी बार जाँच करने लिखा गया है। सवाल यह है कि तीन बार आयोग्य होने के बाद भी उन्हें पद से क्यों नहीं हटाया गया? उन पर किसी प्रकार की कार्रवाई क्यों नहीं की गई? आखिर उन पर कौन मेहरबान है। वह कुल सचिव के पद पर काम कर रहे हैं और विश्वविद्यालय के खाते से वेतन ले रहे हैं। वर्तमान में पटेल छुट्टियां मनाने के लिए पांच दिनों के अवकाश पर हैं।
प्रभारी कुलसचिव नरेंद्र वर्मा ने बताया कि मामला कोर्ट में लंबित है, इसलिए इस पर हम ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते हैं। हालांकि उच्च शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि इस पर जांच हो रही है इसके बाद कार्रवाई होगी।
गौर हो कि शैलेन्द्र कुमार पटेल के अनुभव और शैक्षणिक संबंधी दस्तावेज फर्जी है। शासन गठित जाँच समिति को पटेल ने बताया कि उसने 05 फरवरी 2013 से 05 फरवरी 2015 तक सीवी रमन यूनिवर्सिटी बिलासपुर से गणित विषय में पीएचडी किया और उसी दौरान जुलाई 2009 से मार्च 2016 तक भिलाई इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रायपुर में बतौर सहायक प्राध्यपक पदस्थ रहा। एक ही समय में दोनों काम को कमिटी ने नामुमकिन माना। वहीं, एमफिल डिग्री को जाँच समिति ने फर्जी माना है। समिति के अनुसार पटेल ने साल 2007-08 में विनायका मिशन यूनिवर्सिटी सालेम से एमफिल करने जानकारी जाँच समिति को दी, जबकि उस संस्था का एमफिल मान्य नहीं है।









