रायपुर, 14 जून 2025 /मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग के वीडियो या सीसीटीवी फुटेज साझा करने की मांगों पर चुनाव आयोग ने कड़ी आपत्ति जताई है। आयोग का कहना है कि इससे मतदाताओं की निजता और गोपनीयता पर गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। आयोग ने साफ किया कि ऐसा कोई भी कदम लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950/1951 और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होगा।
आयोग के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज से मतदान करने और न करने वाले मतदाताओं की पहचान आसानी से की जा सकती है। इससे असामाजिक तत्व मतदाताओं पर दबाव, भेदभाव और धमकी देने की कोशिश कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी मतदान न करने का अधिकार मतदान के अधिकार का हिस्सा माना है और उसकी गोपनीयता बनाए रखने पर जोर दिया है।
फुटेज केवल आंतरिक प्रबंधन उपकरण के रूप में 45 दिनों तक सुरक्षित रखा जाता है और जरूरत पड़ने पर सक्षम न्यायालय को ही उपलब्ध कराया जा सकता है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वेबकास्टिंग का उद्देश्य केवल मतदान प्रक्रिया की निगरानी है न कि सार्वजनिक रूप से इसे साझा करना। मतदान की गोपनीयता का उल्लंघन लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 128 के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें 3 माह तक की सजा या जुर्माना हो सकता है।
आयोग ने दोहराया कि मतदाताओं की निजता और सुरक्षा उसके लिए सर्वोपरि है और इस सिद्धांत से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।









