रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने कलेक्टर आफिस में महिला से रेप के आरोपी भारतीय प्रशासनिक सेवा अफसर जनक प्रसाद पाठक का निलंबन वापस ले लिया है। पिछले साल एक महिला ने आरोप लगाया था, पाठक ने जांजगीर-चांपा कलेक्टर रहते हुए कार्यालय में ही उसका बलात्कार किया था। महिला के बयान और कलेक्टर के साथ अश्लील चैटिंग के दस्तावेज मिलने के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया था। निलंबन के वक्त पाठक संचालक भू-अभिलेख के पद पर रायपुर में तैनात थे। सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव अन्वेष घृतलहरे ने जेपी पाठक का निलंबन वापस लेने का आदेश जारी किया है। बताया गया, पाठक ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में निलंबन के आदेश को चुनौती दी थी। पिछले दिनों कैट ने अखिल भारतीय सेवा नियमों के आधार पर पाठक को राहत देते हुए निलंबन हटाने का आदेश दिया था। गेड के अवर सचिव अन्वेष घृतलहरे ने बताया, कैट के आदेश के आधार पर जनक प्रसाद पाठक का निलंबन आदेश वापस ले लिया गया। उनकी निलंबन अवधि के दौरान कटे हुए वेतन-भत्तों का फैसला बाद में होगा। बताया जा रहा है, इसके लिए मुख्यमंत्री सचिवालय तक फाइल जाएगी। जांजगीर-चांपा जिले की एक एनजीओ संचालक महिला ने जून 2020 में पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर से मिलकर लिखित में शिकायत दी थी। महिला ने आरोप लगाया था, उसका पति सरकारी कर्मचारी है। कलेक्टर रहते हुए जेपी पाठक ने 15 मई को महिला का अपने आफिस में ही बलात्कार किया था। उसे धमकी दी गई थी कि उसने उनकी बात नहीं मानी तो उसके पति को नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा। महिला ने शिकायत के साथ कलेक्टर की ओर से भेजे गये मैसेज का स्क्रीनशॉट भी लगाया था। उसके बाद पाठक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता बन गया।
कलेक्टर का तबादला हुआ तो महिला को आई हिम्मत
26 मई 2020 को जेपी पाठक का रायपुर तबादला हो गया। उन्हें भू-अभिलेख विभाग का संचालक बनाया गया था। कलेक्टर के तबादले के बाद पीड़ित महिला ने हिम्मत दिखाते हुए एसपी से लिखित शिकायत की। वरिष्ठ अफसरों का मार्गदर्शन लेने के बाद 3 जून को पुलिस ने कअर अफसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। 4 जून को सरकार ने जेपी पाठक को निलंबित कर दिया। बाद में पाठक के खिलाफ एफआईआर में एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून की धाराएं भी जोड़ी गईं।
उच्च न्यायालय से एंटीसिपेटरी बेल लेकर टाली थी गिरफ्तारी
गिरफ्तारी से बचने के लिए जनक प्रसाद पाठक ने बिलासपुर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अगस्त 2020 में अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी। इसके लिए देरी से एफआईआर कराने को आधार बनाया गया। उसके बाद से मामले की जांच जारी थी।