नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है. किसानों के भ्रम को दूर करने के लिए सरकार जुटी हुई है। इसी कड़ी में गुरुवार को सरकार और किसान संगठनों की बैठक हुई । दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 12 बजे शुरू हुई ये बैठक करीब साढ़े सात घंटे चली लेकिन बात नही बनी किसानों के तेवर पहले से तीखे दिखाई दिए। अब 5 दिसंबर को एक बार फिर सरकार और किसानों की बातचीत होगी ।किसानों के साथ बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार और किसानों ने अपना पक्ष रखा। किसानों की चिंता जायज है। सरकार किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार खुले मन से किसान यूनियन के साथ चर्चा कर रही है। किसानों की 2-3 बिंदुओं पर चिंता है। बैठक सौहार्द्रपूण माहौल में हुई। एपीएमएस को सशक्त बनाने के लिए सरकार विचार करेगी। हालांकि, किसान अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने कहा कि कानून खत्म करने के लिए विशेष संसद सत्र बुलाया जाए।
चाय खाना मंजूर नहीं
इसके पूर्व किसानो के तेवर कितने तीखे है यह इससे पता चलता है कि विज्ञान भवन में मीटिंग के बीच जब लंच ब्रेक हुआ तो किसानों ने वह खाना खाया जो वे अपने साथ लेकर गए थे। उन्होंने कहा कि सरकार का खाना या चाय मंजूर नहीं। आंदोलन का आज आठवां दिन 40 किसान नेताओं की सरकार के साथ विज्ञान भवन में दोपहर 12.30 बजे से बातचीत शुरू हुई । सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अध्यक्षता की। बीच में लंच ब्रेक हुआ था, लेकिन किसानों ने सरकारी दावत खाने से मना कर दिया। वे अपना खाना साथ लाए थे, वही खाया। उन्होंने कहा कि सरकार का खाना या चाय मंजूर नहीं।
प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण सम्मान लौटाया
कृषि कानूनों के खिलाफ असंतोष अब दिल्ली के साथ अन्य राज्यों में भी फैलने लगा है। इस बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में अपना पद्म विभूषण सम्मान वापस कर दिया है। पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस मुद्दे पर तीन पन्ने की चिट्ठी भी लिखी है। राष्ट्रपति के नाम जारी चिट्ठी में उन्होंने दिल्ली में किसानों पर एक्शन की निंदा भी की है। प्रकाश सिंह बाद बादल ने पत्र में लिखा है कि मैं इतना गरीब हूं कि किसानों के लिए कुर्बान करने के लिए मेरे पास कुछ और नहीं है, मैं जो भी हूं किसानों की वजह से हूं। ऐसे में अगर किसानों का अपमान हो रहा है, तो किसी तरह का सम्मान रखने का कोई फायदा नहीं है। उन्होंने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी में बताया है कि किसानों के साथ जिस तरह का धोखा किया गया है उससे काफी दुख पहुंचा है। जानकारी के मुताबिक अकाली दल के नेता रहे सुखदेव सिंह ढिंढसा अभी अपना पद्म भूषण सम्मान भारत सरकार को लौटा सकते हैं।