
लाहौर। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वां के करक जिले में एक हिन्दू मंदिर में बुधवार को आग लगाने के साथ तोड़फोड़ की गई थी। इसे लेकर इमरान खान सरकार की आलोचना हो रही है। इमरान भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर रहते हैं और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को बराबरी का हक देने की बात करते हैं। लेकिन उनकी सरकार में अल्पसंख्यक इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। मंदिर में आग लगाने और तोड़फोड़ का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। लोग पूछने लगे कि क्या इमरान खान का यही नया पाकिस्तान है। पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार, इस मामले में अब तक 26 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। कुल 350 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है जिसमें जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के स्थानीय नेता रहमत खटक का नाम भी शामिल है। पूरे मामले में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने गुरुवार को स्वत: संज्ञान लिया। इस मामले में अदालत पांच जनवरी को सुनवाई करेगी । सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान अल्पसंख्यक अधिकार आयोग के प्रमुख, खैबर पख्तूनख्वां के आईजी और मुख्य सचिव को समन किया है। इन्हें सुप्रीम कोर्ट में चार जनवरी तक रिपोर्ट करने को कहा गया है। जियो टीवी के मुताबिक, पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल के प्रमुख रमेश कुमार से मुलाकात की है। इस मुलाकात में रमेश कुमार ने सीजेपी के सामने पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस वाकये की निंदा की है। पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने इस हमले को सामुदायिक सद्भावना बिगाड़ने की साजिश कहा है। उन्होंने गुरुवार को ट्विटर पर कहा, ”इस्लाम में अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों पर हमले की इजाजत नहीं है। अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करना हमारी संवैधानिक, धार्मिक, नैतिक जिम्मेदारी है।” यह हमला तब हुआ है जब सरकार ने इस्लामाबाद में हिन्दुओं को एक नया मंदिर बनाने की इजाजत दी है।