सबके जीवन में ऐसा समय जरूर आता है, की हृदय से सत्य कहना चाहते हैं लेकिन मुख से निकल नहीं पाता है, मनुष्य भयभीत हो जाता है लेकिन इस परिस्थिति में मनुष्य को सत्य अवश्य बोलना चाहिए क्योंकि सत्य की व्यक्ति को सफलता के शिखर पर पहुंचाने का कार्य करता है।
सत्य कभी पराजित नहीं होता है, सत्य को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है किन्तु अंत में सत्य की ही जीत होती है।
सत्य वह होता है, जब भय होते हुए भी मनुष्य तथ्य बोलता है, निडर होकर अपनी बात को रखता है वहीं सत्य है, सत्य और कुछ नहीं बल्कि निर्भयता का दूसरा नाम है।