रायपुर। 14 महीने की सृष्टि बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में वेंटिलेटर पर है, क्योंकि उसे स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी नाम की रेयर बीमारी है। इसकी वजह से सृष्टि पिछले 8 महीने से जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है। अब 47 दिन से वेंटिलेटर पर है। सृष्टि को भी मुंबई की तीरा कामत की तरह 22.5 करोड़ रुपए का इंजेक्शन लगना है। हालांकि, तीरा के पैरेंट्स ने 16 करोड़ रुपए क्राउडफंडिंग से जुटा लिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 करोड़ का टैक्स माफ कर दिया। इधर सृष्टि के लिए 13 दिन में 3 लाख 29 हजार रुपयों का ही इंतजाम हो पाया है।
मशीनों के सहारे जिंदा
सृष्टि की बीमारी ऐसी है कि देश में उपलब्ध दवाओं से उसकी जान नहीं बचाई जा सकती। ऐसे में डॉक्टर्स ने बच्ची को जोल्जेंसमा इंजेक्शन लगाने की सलाह दी है। बच्ची की हालत ज्यादा गंभीर हो चुकी है। डॉक्टर्स का कहना है कि वह मशीनों के सहारे जिंदा है।
4-5 माह सब ठीक रहा, फिर हाथ-पैरों ने काम करना बंद कर दिया
सृष्टि के पिता सतीश कुमार मूल रूप से झारखंड में पलामू जिले के कांके कला सिक्की गांव के रहने वाले हैं। वे कोरबा के दीपका स्थित कोल माइनिंग कंपनी एसइसीएल में काम करते हैं। उन्होंने बताया कि सृष्टि का जन्म 22 नवंबर 2019 को हुआ था। चार-पांच महीने तक सब सामान्य रहा। अचानक सृष्टि के हाथ-पैरों ने काम करना बंद कर दिया। जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि गर्दन सही तरीके से काम नहीं कर रही। इलाज के लिए किसी एक्सपर्ट को दिखाएं।
13 दिन में मिली महज तीन लाख रुपयों की मदद
सतीश बताते हैं कि जून में रायपुर में कई एक्सपर्ट को दिखाने के बाद भी बीमारी पकड़ में नहीं आई। वहीं सृष्टि की हालत बिगड़ती गई। फिर दिसंबर में उसे वेल्लूर (तमिलनाडु) ले गए, जहां एसएमए टाइप वन टेस्ट किया गया। इसकी रिपोर्ट 23 जनवरी को आई, लेकिन 30 दिसंबर को तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो सृष्टि को अपोलो में भर्ती कराया। सतीश ने छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकार से आर्थिक मदद मांगी है। वहीं इंपैक्ट गुरु संगठन ने क्राउड फंडिंग से 13 दिनों में 3 लाख 29 हजार 828 रुपए जुटाए हैं।
क्या है एसएमए बीमारी?
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी बीमारी वाले बच्चों के शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन नहीं होता। इससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं खत्म होने लगती हैं। दिमाग की मांसपेशियों की एक्टिविटी भी कम होने लगती है। ब्रेन से सभी मांसपेशियां संचालित होती हैं, इसलिए सांस लेने और खाना चबाने तक में दिक्कत होने लगती है। रटअ कई तरह की होती है, लेकिन इसमें टाइप 1 सबसे गंभीर है। देश में अभी तक 5 लोगों और दुनिया में करीब 600 लोगों को एसएमए बीमारी के इलाज के लिए जोल्जेंसमा का इंजेक्शन लगा है। जिन्हें लगा उन्हें भी 60 % ही फायदा मिला।
इतना महंगा क्यों है यह इंजेक्शन?
डॉक्टर बताते हैं कि जोल्जेंसमा इंजेक्शन को स्विट्जरलैंड की कंपनी नोवार्टिस बनाती है। इसकी एक डोज से पीढ़ियों तक पहुंचने वाली जानलेवा जेनेटिक बीमारी को ठीक किया जा सकता है। नोवार्टिस के इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपए है। इस पर साढ़े 6 करोड़ रुपए इंपोर्ट ड्यूटी लगती है।