देवभोग. इंदागांव 132 केवी ट्रांफार्मर की स्थापना हो चुकी है, यहां धमतरी के नगरी से 67 किमी दूरी तय कर 280 टॉवर के सहारे ट्रांसफार्मर में बिजली पहुंच चुकी है. कुछ सरकारी औपचारिकता और मामूली सुधार के बाद क्षेत्र के 200 गांव में बिजली सेवा दी जाएगी. क्षेत्र में रहने वाले 2 लाख आबादी के लिए नई बिजली व्यवस्था किसी वरदान से कम साबित नहीं होगा.बता दें कि, वित्तीय वर्ष 2016-17 में उपकेंद्र स्थापना के लिए तत्कालीन संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी के अथक प्रयास से पहले 20 करोड़ की मंजूरी मिली थी. टॉवर लगाने बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई करनी थी. जिसके बदले 5 गुना वृक्षारोपण होना था. दोबारा सर्वे के बाद निर्माण के लिए कुल 57 करोड़ मंजूर किया गया. योजना की मंजूरी 2016-17 में हुई. इस बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और नेशनल टाइगर रिजर्व अथार्टी से एनओसी लेने में समय लग गया. योजना की मंजूरी मिलने के बाद भी काम शुरू नहीं होता देख शुरू कराने देवभोग और अमलीपदर क्षेत्र के लोगों ने अप्रैल 2019 में बिजली सत्याग्रह चलाया. समस्या सभी वर्ग की थी, ऐसे में बिजली सत्याग्रह से लोग जुड़ते गए. 132 केवी उपकेंद्र आरम्भ करवाने से लेकर लो-वोल्टेज की समस्या से लड़ने एक विशाल जनसमूह प्रशासन से लड़ाई करने सड़क में उतरा. मामले में धरना प्रदर्शन और ज्ञापन का दौर लम्बा चला. नतीजतन 132 उपकेंद्र कार्य आरंभ कराने में प्रसाशन ने भी एड़ी चोटी एक कर दिया. इसके साथ ही लो वोल्टेज से निजात देने मेचका से एक वैकल्पिक लाइन खींची गई. शुरू से 130 किमी दूर गरियाबन्द से सप्लाई आ रही थी, मेचका सप्लाई के बाद 40 किमी दूरी कम हुई तो वोल्टेज समस्या भी कुछ हद तक दूर हो सका था.