इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट जैसी पढ़ाई करने के बाद अभी करीब आधे छात्रों को ही नौकरी मिल पाती है। बाकी को नौकरी की तलाश में भटकना पड़ता है। यह न सिर्फ इस क्षेत्र में कदम रखने वालों के लिए दुखद पहलू है, बल्कि उन संस्थानों की छवि को धक्का पहुंचाने वाला भी है। फिलहाल तकनीकी व प्रबंधन जैसी शिक्षा से जुड़ी देश की नियामक एजेंसी एआईसीटीई (आल इंडिया काउंसिल फार टेक्नीकल एजुकेशन) छात्रों के इस भटकाव को खत्म करना चाहती है। इसके लिए उसने छात्रों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए शुरू की गई परख स्कीम को और धार दी है। इसमें छात्रों को उद्योगों की जरूरत के हिसाब से नई सोच और रटने-रटाने की बजाय उन्हें समस्या को सुलझाने के स्तर पर तैयार किया जाएगा। साथ ही पूरी पढ़ाई के दौरान प्रत्येक स्तर (पहले वर्ष से अंतिम वर्ष तक) पर उन्हें अपनी गुणवत्ता को परखने का मौका भी मिलेगा।
छात्रों की प्रतिभा को निखारने और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एआइसीटीई ने परख पर काम अप्रैल से शुरू किया था। छात्रों की गुणवत्ता को परखने के लिए कुछ मानक तैयार किए। अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम किया गया। अध्ययन में इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट जैसी पढ़ाई करने वाले छात्रों को एकेडमिक स्तर पर तो अव्वल पाया गया लेकिन उसके बाहर उन्हें जमीनी स्तर या नई सोच के स्तर पर अमेरिका, चीन व रूस जैसे देशों से पीछे पाया गया। ऐसे में एआईसीटीई ने परख के माड्यूल को उद्योगों की जरूरत के हिसाब से तैयार किया है। इस मुहिम से सरकारी और निजी क्षेत्र के तकनीकी और प्रबंधन संस्थानों को जोड़ा जा रहा है। फिलहाल करीब तीन हजार संस्थानों और उनके करीब सवा चार लाख छात्रों को अब तक इस व्यवस्था से जोड़ा गया है। शेष काम जारी है।
प्लेसमेंट का आंकड़ा
वर्ष – इंजीनियरिग पास आउट छात्र – प्लेटमेंट पाने वाले
2016-17 —8.01 लाख — 3.64 लाख
2017-18 —7.54 लाख — 3.43 लाख
2018-19 —7.48 लाख — 3.95 लाख