
जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी इंसानी गतिविधियां समुद्री जीवन के लिए बड़ा खतरा बनकर सामने आ रही हैं। समुद्री जीवों एवं पौधों की करीब 10 प्रतिशत प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं। इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर (आईयूसीएन) की नवीनतम सूची से यह बात सामने आई है। आईयूसीएन ने संकटग्रस्त प्रजातियों की नई रेड लिस्ट जारी की है।
आईयूसीएन की सूची के मुताबिक समुद्री जीवों व पौधों की 17,903 प्रजातियों में से 1,550 से ज्यादा प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं। आईयूसीएन की सूची को जैव विविधता के अहम मानक के रूप में स्वीकारा जाता है। यह सूची ऐसे समय में आई है जबकि कनाडा में प्रकृति संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन चल रहा है। सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने सभी देशों से तबाही को रोकने और जैव विविधता को हो रहे नुकसान को कम करने की दिशा में पहल की अपील की है।
आईयूसीएन रेड लिस्ट के प्रमुख क्रेग हिल्टन टेलर ने कहा कि सामान्यतौर पर समुद्र के अंदर क्या हो रहा है, उसे हम नहीं देख पाते हैं। ऐसे में इस तरह के अध्ययन से वास्तविक स्थिति सामने आती है। यह सूची दिखा रही है कि इंसानी गतिविधियां किस तरह से समुद्री जीवन के लिए घातक साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ प्रजातियों के लिए भोजन का मुख्य स्रोत समुद्री घास है। तेल एवं गैस की खोज एवं उत्खनन के कारण समुद्री घास खत्म हो रही है, जिससे इन प्रजातियों पर संकट बढ़ा है। समुद्री सतह के बढ़ते तापमान के कारण भी संकट बढ़ा है। कुछ समुद्री प्रजातियां पिछले तीन दशक में 80 प्रतिशत से ज्यादा सिमट गई हैं।