अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी आफ साउथैम्प्टन की तरफ से कराए गए एक नए अध्ययन में शोधार्थियों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि मस्तिष्क का विकास किस प्रकार होता है। उनका दावा है कि यह अध्ययन तंत्रिकातंत्र संबंधी विकारों के इलाज का नया मार्ग प्रशस्त कर सकता है। पहली बार शोधार्थियों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने मानव मस्तिष्क में मौजूद मुख्य प्रतिरक्षा कोशिका आबादी विकास पर अध्ययन किया है, जिसे माइक्रोग्लिया कहा जाता है।
अध्ययन का नेतृत्व यूनिवर्सिटी आफ साउथैम्प्टन में न्यूरोइम्यूनोलाजी के प्रोफेसर डिएगो गोमेज-निकोला ने किया। माइक्रोग्लिया कोशिकाएं मस्तिष्क के विकास व काम में अहम भूमिका निभाती हैं। हालांकि, अबतक जिनती भी जानकारियां सामने आई हैं, वह चूहों पर हुए अध्ययन पर आधारित हैं। हालिया अध्ययन में शोध के लिए ऊतक बैंकों से मानव मस्तिष्क के नमूने लिए गए, ताकि मनुष्य के जीवन में माइक्रोग्लिया के विकास के अबतक के सबसे बड़े अध्ययन को अंजाम दिया जा सके।
इस अध्ययन में भ्रूण से लेकर उम्रदराज लोगों के मस्तिष्क में माइक्रोग्लिया के विकास पर गौर किया गया। अध्ययन निष्कर्ष डेवलपमेंट सेल नामक आनलाइन साइंस पोर्टल में प्रकाश्ाित हुआ है। प्रो. गोमेज-निकोला ने कहा, “हमने पाया कि माइक्रोग्लिया मनुष्यों में बहुत अलग तरीके से विकसित होती हैं। वे ऊपर-नीचे होती रहती हैं और मस्तिष्क के विकास के दौरान एक लहर का निर्माण करती हैं।”