राहुल गांधी के लंदन में दिए गए भाषणों पर संसद के दोनों सदनों में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। सरकार ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल को लोकतंत्र खतरे में बयान पर घेरा। सत्ता पक्ष जहां “राहुल गांधी माफी मांगो” के नारों के बीच हमलावर रहा, वहीं कांग्रेस ने इसे अदाणी मुद्दे पर जेपीसी की मांग से ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया। हंगामे के कारण दोनों सदनों को पहली बार दोपहर दो बजे तक के लिए और फिर पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा।
लोकसभा में सत्तापक्ष की ओर से हमले की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन से इसकी निंदा करने और राहुल गांधी से सदन के भीतर आकर माफी मांगने की मांग उठाई। उधर, राज्यसभा में नेता सदन और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने साफ कर दिया कि राहुल के माफी मांगने तक भाजपा यह मुद्दा उठाती रहेगी। ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने सदन के बाहर एक कदम आगे बढ़ते हुए राहुल गांधी के खिलाफ देशद्रोह के लिए मुकदमा चलाने की जरूरत बताई। कांग्रेस नेता पर टुकड़े-टुकड़े गैंग की भाषा बोलने का आरोप लगाया।
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही राजनाथ सिंह ने विदेशी मंच से राहुल गांधी के भारत में लोकतंत्र, संसद व संस्थाओं के बारे में की गई टिप्पणियों को देश की मर्यादा पर गहरा आघात करार दिया। राजनाथ ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इसमें हस्तक्षेप के लिए एक सांसद का अमेरिका और यूरोपीय देशों से मांग करना ठीक नहीं है। ध्यान देने की बात है कि रविवार को कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा था कि भारत लोकतंत्र की जननी है और इसमें दुनिया की कोई भी ताकत हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी के सदन के सदस्य नहीं होने और उनकी अनुपस्थिति में ये मुद्दा उठाए जाने को दो पुराने हवाले देकर गलत बताया। सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे देखने का भरोसा दिया। लेकिन हमलावर पीयूष गोयल ने साफ कर दिया कि उन्होंने किसी का नाम लिया ही नहीं और नेता विपक्ष खुद राहुल गांधी का नाम ले रहे हैं। पीयूष गोयल के हमले और राहुल गांधी माफी मांगों के नारों के बीच हंगामा जारी रहा। इस बीच सभापति ने सदन को आपसी सहमति से चलाने और सभी को अपनी-अपनी बात कहने का बराबर मौका देने का भरोसा भी दिया।
दिग्विजय सिह ने सत्तापक्ष के हंगामे के कारण सदन नहीं चल पाने पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि 45 सालों के राजनीतिक जीवन में उन्होंने पहली बार ऐसा देखा है। सामान्यतौर पर सत्तापक्ष सदन को चलाने की कोशिश करता है और विपक्ष अपने मुद्दों को लेकर हंगामा करता है। दोनों सदनों में भाजपा- कांग्रेस के बीच तीखी नोकझोंक हुई। सत्तापक्ष के रूख से साफ है कि राहुल की टिप्पणी के मुद्दे को वह आसानी से नहीं जाने देगा। भारतीय लोकतंत्र समेत संवैधानिक संस्थाओं पर हमले के खिलाफ आगे भी वह राहुल पर हमलावर रहेगा।
मंत्री बोले-लोकतंत्र का असली हनन तो कांग्रेस ने आपातकाल के दौरान किया
संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में राहुल गांधी का नाम लेकर तो पीयूष गोयल ने राज्यसभा में बिना नाम लिए लोकतंत्र व अन्य संस्थाओं पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी पर हमला बोला। दोनों नेताओं ने लोकतंत्र के हनन को लेकर कांग्रेस को आईना भी दिखाया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का असली हनन तब हुआ था, जब कांग्रेस के कार्यकाल में आपातकाल लगाकर आम लोगों के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पास अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़कर रद्दी की टोकरी में डालने लायक बताने के दौरान भी लोकतंत्र का हनन हुआ था।
संप्रग सरकार के दौरान राहुल ने मनमोहन सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था और उसके बाद सरकार को अध्यादेश वापस लेना पड़ा था। गोयल के अनुसार संप्रग सरकार के दौरान पीएम मनमोहन की मजबूरी साफ देखी जा सकती थी, जिसे उन्होंने गठबंधन की सरकार चलाने के लिए भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाने के रूप में स्वीकारा भी था। गोयल ने साफ किया कि भारतीय लोकतंत्र, संसद, मीडिया, न्यायपालिका, चुनाव आयोग और सेना के खिलाफ की गई टिप्पणियों को वापस लेने तक देश उन्हें माफ नहीं करेगा।