एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पुरुषों की सर्जरी या रेडियोथेरेपी में देरी से मौत का जोखिम नहीं बढ़ता है। न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में चिकित्सकों की नियमित निगरानी व सर्जरी जैसे उपचार दोनों को समान रूप से लाभकारी पाया गया है।
आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित व सक्रिय निगरानी, सर्जरी (रेडिकल प्रोस्टेटेक्टामी) एवं रेडियाथेरेपी कराने वाले ब्रिटेन के 50 से 69 वर्ष के 1,643 पुरुषों पर अध्ययन के आधार पर उक्त निष्कर्ष निकाला। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए नियमित निगरानी और 15 साल बाद रेडियोथेरेपी या सर्जरी जैसे उपचार का विकल्प अपनाने वालों के बीच जीवित रहने की समान उच्च दर थी। दूसरी ओर, मूत्र और यौन क्रिया पर रेडियोथेरेपी और सर्जरी के नकारात्मक प्रभाव पहले की तुलना में 12 साल तक लंबे समय तक बने रहते हैं।
अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रेडी हम्दी कहते हैं इससे पता चलता है कि चिकित्सक की सक्रिय निगरानी और कठोर उपचार दोनों समान रूप से उपयोगी हैं, यह एक कम कठोर विकल्प हो सकता है। यह एक बहुत ही अच्छी खबर है। हालांकि यह भी स्पष्ट कि इस बीमारी से पीड़ित पुरुषों का एक छोटा समूह वर्तमान उपचारों में से कोई भी लाभ उठाने में असमर्थ है। हमें इन मामलों की पहचान करने की अपनी क्षमता और उनके इलाज की क्षमता दोनों में सुधार करने की जरूरत है।