खेत से हमारी थाली तक पहुंचने के दौरान रास्ते में बहुत सा खाना खराब हो जाता है। इनमें खासकर फल-सब्जी आदि होते हैं, जिनके जल्दी सड़ने की आशंका रहती है। बड़ी समस्या यह है कि इस बात को रियल टाइम में ट्रैक करने का कोई तरीका नहीं होता कि कौन सा खाना खराब हो रहा है। टेक्सास की सदर्न मेथडिस्ट यूनिवर्सिटी के भारतीय शोधकर्ता खेंगदालिउ चवांग ने इसका हल निकाला है। उन्होंने एक छोटा और सस्ता सेंसर तैयार किया है, जिससे खाने पर नजर रखना संभव होगा।
किसी खाद्य पदार्थ के सड़ने का पता उसकी पीएच वैल्यू से चलता है। यूएन के फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन के मुताबिक, हर साल दुनियाभर में करीब 1.3 अरब टन खाद्य पदार्थ बर्बाद हो जाता है। आमतौर पर कंपनियां जिस सेंसर से खाद्य पदार्थों के पीएच का पता लगाती हैं, वह 12 से 13 सेंटीमीटर का होता है। इसकी लागत भी ज्यादा होती है। मूलत: नगालैंड के चवांग ने इस समस्या का हल निकालते हुए मात्र दो मिलीमीटर चौड़ा और 10 मिलीमीटर लंबा डिस्पोजेबल सेंसर बनाया है। इसे आसानी से पैकेजिंग में प्रयोग किया जा सकता है।
यह रेडियो-फ्रिक्वेंसी आइडी डिवाइस की तरह काम करता है। इसे स्कैन करके खाद्य पदार्थ की स्थिति का तुरंत पता लग सकता है। इससे पूरी सप्लाई चेन के दौरान खाद्य पदार्थ पर नजर रखने और उसे खराब होने से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाने में मदद मिलेगी। चवांग ने कहा कि नगालैंड की बड़ी आबादी कृषि उत्पादों पर ही निर्भर है। ऐसे में खाद्य पदार्थों का खराब हो जाना वहां बड़ी समस्या है। इसे ध्यान में रखते हुए ही उन्हें इस तरह का सेंसर बनाने का विचार आया।