
- डॉटर्स डे पर खास खबर
रायपुर। भगवान का दिया हुआ दुनिया का बेशकीमती तोहफा है बेटी। बदलते समय में बेटी होने पर लोग फक्र महसूस करने लगे हैं और जब ऐसी जाबांज बेटी हो तो भला कैसे ये भावना मन में नहीं आएगी। हम बात कर रहे हैं राजनांदगांव की सिमरन भीमनानी की, जो कोरोना को हरा कर अब सामान्य जीवन जी रही हैं। इस जांबाज बेटी ने एंटीबॉडी डेवलप होने के बाद कल राजधानी रायपुर के बालको मेडिकल सेंटर में अपना प्लाज्मा डोनेट कर एक अंजान को जीवन दान दिलाने का जिम्मा लिया है। आज डॉटर्स डे में हमने बात की सिमरन और उसके पापा से जो सिर्फ राज्य में ही नहीं बल्की देशभर में ट्वीटर के लिए अपने इस सेवाभाव के लिए तारीफे बटोर रही हैं। बिलासपुर आईजी दिपांशु काबरा समेत सिमरन के इस नेक काम की लोग ट्वीटर में सराह रहे हैं।

कोरोना ने 23 वर्षिय सिमरन समेत परिवार के लगभग 21 लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया था। परिवार के सबसे वृद्ध व्यक्ति सिमरन के दादा जी भी इससे अछूते नहीं रहे। कोविड होने के दौरान कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानी झेलने के बाद भी सिमरन जल्द ही कोरोना को हरा कर एक बार फिर से अपने परिवार के बीच पहुंच गईं। चुंकि खुद इस परेशान का सामना वह की हुई थी, इस लिए ऐेसे हर व्यक्ति की मदद करना चाहती थी, जो इससे जूझ रहा हो। इसी दौरान राजनंदगांव के ही एक और परिवार में कोरोना संक्रमण फैलने और मरीज की हालत गंभीर होने की बात सिमरन के पिता जी डॉ रूपचंद भीमनानी को पता चली। उन्हें पता चला कि एक परिवार को बी पॉजीटिव प्लाज्मा की जरूरत है। इतना ही नहीं सिमरन के पिता जी ने खुद उस परिवार से संपर्क किया और बताया कि हमारी बेटी सिमरन बी पॉडीटिव प्लाज्मा डोनर है। दूसरे की जान की फिक्र कर सिमरन और उसके पिता जी ने राजनंदगांव से रायपुर का सफर तय कर बालको मेडिकल सेंटर में प्लाज्मा डोनेट की।
वह लोग पहुत परेशान थे, मुझे लगा मदद करुं

सिमरन बताती हैं कि जिन्हें प्लाज्मा चाहिए था वो लोग काफी परेशान थे। हम उस परिवार को नहीं जानते थे, लेकिन परिवार के लोगों से ही पता चला की उन्होंने कई लोगों से प्लाज्मा के लिए संपर्क किया है, लेकिन किसी की भी बॉड़ी से मैच नहीं हुआ। जीवन और मृत्यु के बीच का ये सिलसिला बड़ा ही डरावना होता है, ऐसे में अगर मैं किसी की मदद कर सकूं तो यह मेरे लिए खुशी की बात है। कल प्लाज्मा डोनेट करने के बाद आज तक उस मरीज के बारे में कुछ पता नहीं चला है, बस भगवान से यही कामना है कि वह जल्दी ठीक हो जाएं। सिमरन बताती हैं कि इसके पहले उन्होने अब तक ब्लड भी डोनेट नहीं किया लेकिन दादा जी और पिता जी से शुरु से लोगों की मदद करने की सीख मिली है आज मौका था तो मैंने वही किया।
भगवान का शुक्र है कि उसने ऐसी बेटी दी

सिमरन के पिता कहते हैं कि भगवान का शुक्र है कि मुझे सिमरन जैसी बेटी मिली है। आगे भी सिमरन से मुझे ऐसी ही अपेक्षा है कि वह लोगों की मदद के लिए आगे आए। बड़े परिवार में पली बढ़ी सिमरन में शुरु से ही सेवाभाव है। लोगों को दुख और तकलीफ में देख वह दुखी हो जाती हैं। यही कारण है कि वह मेरे एक बार बोलने पर तैयार हो गई।
लोगों में आएगी जागरुकता
सिमरन की इस सेवाकार्य के लिए बालको मेडिकल सेंटर के डॉ निलेश जैन ने भी सराहा है। उन्होंने कहा कि यह तारीफे काबिल है लोगों में ऐसे ही जगरुकता रही तो आगे आने वाले समय में और लोग मदद में समाने आएंगे। सिमरन ने 400 एमएल प्लाज्मा डोनेट किया है। ऐंटीबॉडी अच्छी तरह डेवलप होने के कारण वह चाहें तो 15 दिन बाद फिर से प्लाज्मा डोनेट कर सकती हैं।