उत्तराखंड में शीतलहर और बर्फबारी के बीच भगवान शंकर के 11वें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट को शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया। मंदिर को भैयादूज, कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया, वृश्चिक राशि, ज्येष्ठा नक्षत्र के शुभ अवसर पर प्रात: साढ़े आठ बजे विधि-विधान से बंद किया गया। कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को विशेष रूप से फूलों से सजाया गया और ढाई हजार से अधिक तीर्थयात्री कपाट बंद होने के गवाह बने। सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ जय श्री केदार तथा ऊं नम: शिवाय के उदघोष से केदारनाथ गूंज उठा। बाबा केदारनाथ की पंचमुखी डोली ने हर हर महादेव के जयकारों और भारतीय सेना के बैंड की भक्तिमय स्वरलहरियों के बीच अपनी शीतकाल प्रवास ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया। डोली 17 नवंबर को ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी, जहां अगले छह तक शीतकाल में भोलेनाथ के दर्शन होंगे।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय कपाट बंद की तैयारियों के लिए श्री केदारनाथ पहुंचे थे। बीकेटीसी अध्यक्ष ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में श्री केदारनाथ यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हो रहा है। इस यात्रा वर्ष में साढ़े उन्नीस लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये। उन्होंने यात्रा से जुड़े सभी संस्थानों को भी बधाई दी। बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि केदारनाथ धाम में कपाट खुलने की तिथि से मंगलवार 14 नवंबर रात्रि तक 1957850 (उन्नीस लाख सत्तावन हजार आठ सौ पचास) तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये।
उल्लेखनीय है कि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को बंद हो रहे है। श्री गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट गोवर्धन पूजा के अवसर पर मंगलवार पूर्वाह्न 14 नवंबर को बंद हुए श्री यमुनोत्री धाम आज दोपहर में शीतकाल हेतु बंद हो रहे हैं।