भारत और पाकिस्तान फिर आमने सामने आ गए हैं। मौजुदा विवाद पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) के नए सदस्यों को लेकर है। पाकिस्तान सरकार ने पीएसजीपीसी में कई खालिस्तान समर्थकों को शामिल किया है। इसे लेकर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। गौर हो कि पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में पीएसजीपीसी में 13 सदस्यों को एंट्री दी है। इनमें रमेश सिंह अरोड़ा, तारा सिंह, ज्ञान सिंह चावला, सरवंत सिंह, सतवंत कौर, हरमीत सिंह, महेश सिंह, भागवत सिंह, साहिब सिंह और मामपाल सिंह शामिल हैं।
भारत सरकार की मुख्य आपत्ति रमेश सिंह अरोड़ा को लेकर है। वह मंजीत सिंह पिंका का बहनोई है। पिंका 1984 में श्रीनगर से लाहौर जा रहे विमान की हाईजैकिंग में वॉन्टेड है। इसके अलावा तारा सिंह को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई है। तारा सिंह लखबीर सिंह रोडे का करीबी है। लखबीर प्रतिबंधित खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स (केएलऍफ़) और इंटरनेशन सिख यूथ फेडरेशन का चीफ था। रोडे की पिछले साल पाकिस्तान में मौत हो गई थी। इसके अलावा महेश सिंह पर रोडे से नजदीकी का भी आरोप लगा था। इतना ही नई कमेटी के 13 सदस्यों में शामिल ज्ञान सिंह चावला और डॉ मीमपाल सिंह भी भारत विरोधी सोच के लिए जाने जाते हैं।
इस बीच, एक हिंदू-धर्मांतरित सिख ने इन नियुक्तियों पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ये ‘पहली पीढ़ी के धर्मांतरित सिख’ हैं। अरोड़ा को पाकिस्तान में प्रतिष्ठित ‘सितारा-ए-इम्तियाज’ पुरस्कार भी मिला है।