रायसेन । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार पूरी तरह से किसानों को समर्पित है तथा यहां किसानों की भलाई के लिए निरंतर कार्य हो रहे हैं। आज प्रदेश के 35 लाख से अधिक किसानों के खातों में फसल नुकसानी के 1600 करोड़ रूपए की राशि सीधे उनके खातों में अंतरित की जा रही है, कोई बिचौलिए नहीं, कोई कमीशन नहीं। यह भारत में पिछले 5-6 वर्षों में बनाई गई व्यवस्था का परिणाम है, जिसकी पूरे विश्व में आज प्रशंसा हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को रायसेन में आयोजित किसान महासम्मेलन में प्रदेश के लाखों किसानों को सीधे (वर्चुअली) संबोधित किया । 53 मिनट के भाषण में मोदी ने किसानों की सबसे बड़ी चिंता न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) को लेकर एक बार फिर कहा कि एमएसपी न बंद होगी, न खत्म होगी। उन्होंने कहा कि किसान उन लोगों से बचकर रहें, जो कृषि सुधारों पर झूठ का जाल फैला रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया. पीएम मोदी ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में किसानों की सिर्फ एक बार ही कर्जमाफी की गई, वो भी 50 हजार करोड़. जबकि उनकी सरकार हर साल इससे अधिक पैसे किसानों के खाते में भेज रही है।
एमएसपी पर साफ की तस्वीर
पीएम मोदी ने कहा कि कृषि सुधार के बाद एक सबसे बड़ा झूठ एमएसपी पर बोला जा रहा है. अगर हमें एमएसपी हटानी होती तो स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू ही क्यों करते. हर बार हमारी सरकार एमएसपी की घोषणा करती है, ताकि किसानों को परेशानी ना हो. पीएम बोले कि हर किसान को ये भरोसा देता हूं कि पहले जैसे एमएसपी दी जाती थी, वैसे ही दी जाती रहेगी । पीएम मोदी बोले कि पिछली सरकार के वक्त गेहूं पर एमएसपी 1400 थी, हमारी सरकार 1975 रुपये दे रही है. धान में पिछली सरकार 1310 रुपये दे रही है, हमारी सरकार 1870 दे रही है. पिछली सरकार ज्वार पर 1520 रुपये दे रही थी, हमारी सरकार 2640 रुपये दे रही है. पिछली सरकार मसूर दाल पर 1950 रुपये दे रही थी, हमारी सरकार 5100 रुपये दे रही है।
रमन सिंह ने किसान आंदोलन को बताया राजनीतिक साजिश
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने देश में चल रहे किसान आंदोलन को राजनीतिक साजिश बताया। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार का कानून किसानों के फायदे के लिए है। किसानों को भ्रम में डालकर कुछ लोग आंदोलन चला रहे हैं। उन्होंने कहा, किसानों को इन कानूनों में जो आपत्तियां दिख रही थीं, बातचीत के बाद केंद्र सरकार ने दूर करने की बात कही है। ऐसे में आंदोलन का कोई औचित्य नहीं रह जाता।दरअसल कृषि संबंधी कानूनों के समर्थन में भाजपा पूरे प्रदेश में किसान महापंचायत कर रही है। प्रशासन की अनुमति नहीं होने के बावजूद भाजपा ने शुक्रवार शाम गांधी मैदान में ही किसान महापंचायत का आयोजन किया।
आपत्तियों समझाए, हम बदलाव पर विचार करेंगे: तोमर
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को लेकर पहली बार केंद्र सरकार के बयान में समझौते का इशारा मिला। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने शुक्रवार को कहा कि मौजूदा संकट को दूर करने के लिए विरोध करने वाले संगठनों से औपचारिक बातचीत चल रही है। साल खत्म होने से पहले नतीजा निकलने की उम्मीद है। हालांकि, संगठन कह रहे हैं कि उन्हें कानूनों को खत्म करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।तोमर ने कहा कि अगर किसान अपनी हर क्लॉज पर अपनी आपत्तियों के बारे में हमें समझा पाए तो कानूनों में बदलाव पर विचार करेंगे। तोमर ने ये बातें न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कही हैं। तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की सभी वाजिब चिंताओं को दूर करने के लिए कमिटेड है। सरकार इसके लिए औपचारिक बातचीत फिर शुरू करने को भी तैयार है, लेकिन इस बात पर जोर दिया गया है कि उन लोगों के किसी भी पॉइंट पर बात नहीं होगी जो किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर चला रहे हैं।
प्रदर्शनकारी किसान बोले,हम से सीधे बात करें पीएम
तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का आज 23वां दिन है। किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं। दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने कहा है कि प्रधानमंत्री को उनसे बात करनी चाहिए। कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी लड़ाई नहीं छोड़ेंगे। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “मोदी दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों को दरकिनार कर मध्य प्रदेश के किसानों से बातचीत का ढोंग रच रहे हैं।