किसान आंदोलन का साइड इफेक्ट किसानों को नुकसान के साथ शुरू हो गया है। राजस्थान के किसानों के लिए टिंडे और गोभी की खेती करना इस बार घाटे का सौदा साबित हो रहा है। मंडियों में ये सब्जियां दो रुपये किलो के भाव से बिक रही हैं, क्योंकि बिचौलिये इससे ज्यादा भाव देने को तैयार नहीं हैं। इससे निराश किसान कहीं सब्जियां जानवरों को खिला रहे हैं तो कहीं सब्जी को उखाड़ कर सडक पर फेंक दे रहे हैं।
सबसे ज्यादा खराब हालात जयपुर, अलवर, भरतपुर व झुंझुनूं जिलों में है। इन जिलों के किसानों का कहना है कि वे हमेशा अपनी सब्जियां दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में भेजते थे, लेकिन कृषि कानून विरोधी आंदोलन के कारण अब वहां नहीं पहुंचा पा रहे, जिसकी वजह से सब्जियों के सही दाम नहीं मिल रहे।
किसानों की पीड़ा है कि उन्होंने बाजार से टिंडे का बीज सात हजार रुपये प्रति किलो व गोभी का बीज 30 हजार रुपये प्रति किलो के भाव से खरीदा था। एक बीघा टिंडे की खेती में 15 से 16 हजार रुपये और गोभी की खेती पर 30 से 35 हजार रुपये तक की लागत आती है। मजदूर आदि का खर्च भी काफी पड़ता है। किसानों के मुताबिक टमाटर भी दिल्ली नहीं जाने के कारण यहां खराब हो रहा है। जयपुर जिले के कोटपुतली निवासी रामधन गुर्जर, खेमाराम और अलवर निवासी किसान जगदीश का कहना है कि दो माह से हमारी सब्जियां दिल्ली और एनसीआर में नहीं जा पा रहीं, जिसकी वजह से सही दाम नहीं मिल पा रहे।