फल की अभिलाषा छोड़कर
कर्म करने वाला पुरुष ही
अपने जीवन को सफल बनाता है। ।
जो व्यक्ति कर्म में विश्वास रखता है अपने कर्म से पीछे नहीं हटता, फल की चिंता नहीं करता। वह पुरुष अपने जीवन को सफल बनाता है। फल की चिंता करने वाला व्यक्ति कभी अपने जीवन को सफल नहीं बना सकता।
इस भौतिक जगत में , जो व्यक्ति न तो सुख की प्राप्ति से हर्षित होता है और ना अशुभ के प्राप्त होने पर उससे घृणा करता है,
वह पूर्ण ज्ञान में स्थिर रहता है। ।
यह संसार नश्वर है इस जगत में दुख-सुख, हर्ष-विषाद आदि लगा रहता है। क्षण भर के सुख से जो खुश नहीं होता और अशुभ होने पर जो दुखी नहीं होता, वह व्यक्ति सच्चा ज्ञानी होता है। उसे ज्ञात होता है यहां सब क्षण भर के लिए होता है भले ही वह सुख हो चाहे दुख।