टोक्यो पैरालंपिक में कांस्य जीतने वाले डिस्कस थ्रोअर विनोद कुमार ने अपना पदक गंवा दिया। दरअसल सोमवार को टूर्नामेंट के पैनल की ओर से विकार के क्लासिफिकेशन निरीक्षण में ‘अयोग्य’ पाये जाने के बाद ऐसा हुआ। टूर्नामेंट के पैनल ने पैरालंपिक की पुरूषों की एफ52 स्पर्धा का कांस्य पदक वापस लेने की घोषणा कर दी।
बीएसएफ के 41 साल के जवान विनोद कुमार ने रविवार को 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से एशियाई रिकार्ड बनाते हुए पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे तीसरा स्थान हासिल किया था। इसके बाद आयोजकों ने बयान जारी कर कहा, पैनल ने पाया कि एनपीसी (राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति) भारत के एथलीट विनोद कुमार को ‘स्पोर्ट क्लास’ आवंटित नहीं कर पाया है। खिलाड़ी को ‘क्लासिफिकेशन पूरा नहीं किया’ (सीएनसी) चिन्हित किया गया। इसके अनुसार, एथलीट पुरूषों की एफ52 चक्का फेंक स्पर्धा के लिये अयोग्य है और स्पर्धा में उसका नतीजा अमान्य है।
गौर हो कि एफ52 स्पर्धा में वे एथलीट हिस्सा लेते हैं, जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है और उनके मूवमेंट सीमित होते हैं, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं। पैरा खिलाड़ियों को उनके विकार के आधार पर वर्गों में रखा जाता है। क्लासिफिकेशन प्रणाली में उन खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति मिलती है जिनका विकार एक सा होता है। आयोजकों ने 22 अगस्त को विनोद का क्लासिफिकेशन किया था।