
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने के बाद वहां महिलाओं और लड़कियों पर पाबंदियां शुरू हो गईं। ऐसे में उनके शैक्षणिक भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं। लिहाजा बरेलवी उलमा ने अफगानिस्तान की लड़कियों के लिए आवाज उठाई है। उनके मुताबिक शरीयत का पालन करते हुए लड़कियों को शिक्षा जरूर दी जाए। उन्हें स्कूल-कालेज जाने से न रोका जाए।
इस संबंध में दरगाह आला हजरत के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि इस्लाम इल्म (ज्ञान) की इजाजत देता है। जब तक इल्म नहीं होगा, कोई भी देश तरक्की नहीं कर सकता। धार्मिक शिक्षा के साथ दुनिया में प्रचलित शिक्षा से भी मुस्लिमों को जोड़ने की जरूरत है। लड़का-लड़की का मुद्दा काफी पीछे छूट चुका है। आज सभी के लिए शिक्षा जरूरी है, ताकि वे अपने परिवार और देश का विकास कर सकें। अफगानिस्तान की लड़कियां या महिलाएं पढ़ना चाहती हैं तो उन्हें रोका नहीं जाए। वहां महिलाओं ने बुर्का पहनकर पढ़ाई का अधिकार मांगा है तो उन्हें यह अधिकार दिया जाए।
आला हजरत दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने कहा था कि तालीम के बिना तरक्की मुश्किल है। बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अरबी, उर्दू के साथ अंग्रेजी, हिदी और अन्य भाषाएं भी सिखाई जानी चाहिए। वहीं
दरगाह के मुफ्ती गुलाम मुस्तफा ने कहा कि कामयाबी के रास्तों पर चलने के लिए इल्म जरूरी है। अफगानिस्तान में लड़कियां व महिलाएं पढ़ाई के लिए मांग कर रही हैं। शरीयत पर अमल करते हुए, बुर्का में रहकर वे शिक्षा हासिल करना चाहती हैं तो उन्हें रोका न जाए। यह वक्त की जरूरत है। तालिबान उनकी इस मांग पर विचार करे।