शिप्रा स्नान के लिए शनिचरी अमावस्या पर हजारों श्रद्धालु पहुचे
(अशोक महावार)
उज्जैन।उज्जैन में शनिचरी अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ कम रही। वहीं श्रद्धालुओं ने घाट पर लगे फव्वारों में स्नान किया। इसके बाद प्रार्थना की। इस दौरान जिला प्रशासन ने लोगों के लिए खासे इंतजाम किये।
शनिचरी अमावस्या पर उज्जैन के शिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट पर अपेक्षाकृत श्रद्धालुओं की भीड़ कम रही। धार्मिक मान्यता अनुसार, दूर-दूर से आये श्रद्धालु शिप्रा नदी पर लगे फव्वारों से नहाने के बाद अपने कपड़े और जूते दान के रूप में घाट पर ही छोड़ गए। इस बार नदी में पानी अधिक गहरा रहा। वहीं कोरोना प्रोटोकॉल के कारण प्रशासन ने सिर्फ फव्वारों से ही स्नान की इजाजत दी है।
पंडित राकेश बैरागी ने बताया कि शनिवार को आने वाली अमावस्या को शनिचरी अमवस्या कहते हैं। उज्जैन का प्रसिद्ध त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर पर प्रति शनिचरी अमावस्या को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। श्रद्धालु भगवान शनि (lord shani puja in ujjain) को तेल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं, लेकिन उससे पहले बच्चे, बड़े, जवान, महिला एवं पुरुष सभी शिप्रा नदी में नहान करते हैं। इसके बाद दान के रूप में अपने कपड़े या जूते नदी के घाट पर ही छोड़ जाते हैं. फिर प्रशासन इन्हें नीलाम कर देता है।
उज्जैन शनिचरी अमावस्या पर श्रद्धालु त्रिवेणी स्थित घाट पर डुबकी लगा कर नहान स्नान दान कर पुण्य अर्जित करते हैं। इस बार नदी में श्रद्धालुओं को डुबकी लगाने को नहीं मिली। वहीं श्रद्धालु नदी के पानी से ही नहाते नजर आए। इस बीच श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए अधिकारियों और प्रशासनिक अमले की ड्यूटी लगायी गयी। यहां श्रद्धालु अमावस्या होने के चलते पितृ दोष और ग्रहो की बिगड़ी चाल के लिए भी पूजन करवाते हैं।
अमावस्या के चलते देर रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर पर लगनी शुरू हो गयी थी। इसे लेकर कलेक्टर ने कहा कि ठंड का समय है देर रात रुकने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर क्षेत्र में लाइटिंग व्यवस्था, पानी, शौचालय की व्यवस्था, ठंड में अलाव की व्यवस्थाओं पर फोकस किया गया है। किसी तरह से श्रद्धालुओं को दिक्कत नहीं आने दी जाएगी- चाहे वो पार्किंग व्यवस्था हो या यातायात व्यवस्था. नहान के लिए फव्वारे भी लगाए गए हैं. खास बात यह है कि श्रद्धालुओं को कोरोना का टिका भी लगाया जाएगा।