अमेरिकी सेना के अगस्त के अंत में अफगानिस्तान से जाने के बाद वहां आतंकी समूह अलकायदा के आतंकियों की संख्या थोड़ी बढ़ी है। देश के नए तालिबान नेता इस बात को लेकर बंटे हैं कि समूह के साथ संबंध तोड़ने के संबंध में 2020 में किए गए संकल्प को पूरा किया जाए या नहीं। अमेरिका के एक शीर्ष कमांडर ने कहा कि तालिबान की वापसी के बाद से ही इस बात की आशंंका थी कि अफगानिस्तान आतंकियों के लिए पनाहगाह बन सकता है।
यूएस सेंट्रल कमान के प्रमुख मरीन जनरल फ्रैैंक मैकेंजी ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य और खुफिया एजेंसियों के चले जाने से अफगानिस्तान के अंदर अलकायदा और अन्य चरमपंथी समूहों पर नजर बनाए रखना बहुत कठिन हो गया है। हम शायद उन क्षमताओं के लगभग एक या दो फीसदी पर हैं, जिनके जरिये हम अफगानिस्तान में होने वाली गतिविधि का पता लगा पाते थे। इस वजह से ये सुनिश्चित करना बहुत कठिन हो जाता है कि अलकायदा और इस्लामिक स्टेट अफगानिस्तान में रहकर अमेरिका के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं या नहीं।
मैकेंजी ने अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन में कहा कि यह स्पष्ट है कि अलकायदा अफगानिस्तान के अंदर अपनी मौजूदगी को फिर से मजबूत बनाने का प्रयास कर रहा है, जहां से उसने 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका के खिलाफ हमलों की साजिश रची थी। कुछ आतंकी अफगानिस्तान की सीमा से देश्ा में आ रहे हैं, लेकिन अमेरिका के लिए इनकी संख्या पर नजर रखना कठिन है।
इस बीच, काबुल में शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त ने लोगों के इमिग्रेशन को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि तालिबान शासन में लोग अफगानिस्तान से निकलकर ईरान जैसे पड़ोसी देशों में जा रहे हैैं। संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लोगों से अपील की है कि वह अफगानिस्तान के मौजूदा संकट को हल करने में सहयोग करें।
इस बीच, काबुल में शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त ने लोगों के इमिग्रेशन को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि तालिबान शासन में लोग अफगानिस्तान से निकलकर ईरान जैसे पड़ोसी देशों में जा रहे हैैं। संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लोगों से अपील की है कि वह अफगानिस्तान के मौजूदा संकट को हल करने में सहयोग करें।